•कुशनगरी में निकाय चुनाव रोचक मोड़ पर
• ११ मई को पड़ेंगे वोट
• डेढ़ दशक से पालिका में काबिज बीजेपी को शिकस्त देने को आतुर कांग्रेस, आप व सपा
• तीनों दलों में मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ की आस
•गृहनगर में आप सांसद संजय सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर
•बसपा प्रत्याशी मतदान के पूर्व ही लड़ाई से बाहर
विक्रम सिंह / सुल्तानपुर
करीब १५३ साल से नगर के रूप में व्यवस्थित सुल्तानपुर शहर में इन दिनों निकाय चुनाव रोचक दौर में पहुंच गया है। पांच दिन बाद ११ मई को सुल्तानपुर पालिकाध्यक्ष सहित २५ वार्डों के सभासद पदों के लिए वोट डाले जाने हैं। लेकिन वोटरों ने मौन साध लिया है। डेढ़ दशक से पालिका की सत्ता में काबिज बीजेपी को शिकस्त देने के लिए आप, कांग्रेस, सपा व बसपा सभी दलों के प्रत्याशियों को एकमुश्त मुस्लिम और ब्राह्मण वोटों की दरकार है। लेकिन मुस्लिम हो या ब्राह्मण वोटर! दोनों ही ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में हैं।
ये है सुल्तानपुर शहर का जातिगत मत समीकरण
सुल्तानपुर पालिका में कुल वोटरों की संख्या है तकरीबन ९५,०००। इनमें लगभग ३०,००० मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। तो वहीं ब्राह्मण वोटर भी लगभग २०,००० से कम नहीं। प्रभुत्वशाली २६,००० वैश्य मत भी परिणाम को किसी भी दिशा में मोड़ देने की ताकत रखते हैं तो वहीं ८,००० क्षत्रिय, ६,००० कायस्थ व ६,००० दलित आदि मिश्रित वर्गों के मत जिस करवट बैठेगें हैं वो परिणाम बदल देंगे हैं।
विपक्षियों में भाजपा को शिकस्त देने की कसमसाहट
डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराने इस शहर की नगरपालिका पर अधिकांशत: भाजपा का दबदबा रहा है। १५ साल से लगातार तीन बार इसी पार्टी के पालिकाध्यक्ष निर्वाचित होते आ रहे हैं। बावजूद इसके विपक्षी दल, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस व सपा में भाजपा को शिकस्त देने की कसमसाहट साफ झलक रही है लेकिन लचर प्रबंधन व रणनीति के अभाव से ये ‘टास्क’ कठिन होता जा रहा है। यूं तो अक्सर धार्मिक आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण से जंग सपा और भाजपा के मध्य ही आकर थम जाती है, लेकिन इस बार कांग्रेस और आप ने रणनीति पूर्वक ब्राह्मण उम्मीदवारों क्रमश: ‘युवा’ वरुण मिश्र व अखिलेश राज में दर्जा प्राप्त मंत्री रह चुके डॉ. संदीप शुक्ल को मैदान में उतारकर लड़ाई को रोचक बना दिया है। इन दलों में ब्राह्मण के साथ मुस्लिम वोट हासिल करने को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्द्धा है। वहीं सपा के मुस्लिम उम्मीदवार (पूर्व पालिकाध्यक्ष) सैयद रहमान मानू ने भी वोटों की इस लड़ाई में खुद को पूर्ववर्ती यानी धर्मांतरित ‘ब्राह्मण’ घोषित कर दिया है। सपा प्रत्याशी मानू का कहना है कि मेरे पूर्वज ब्राह्मण थे और परिस्थितिवश मुसलमान बन गए, अत: ब्राह्मण हमें वोट देकर स्वीकारें। हालांकि, सामान्य मुस्लिम वोटर चुनाव के इस दौर में सियासत की नब्ज टटोल रहा है। वो सोच-समझकर फैसला लेने के लिए ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में है। वो ये देख रहा है कि दो प्रमुख दलों (कांग्रेस व आप) से लड़ रहे सजातीय उम्मीदवारों में ब्राह्मण समुदाय किसे तरजीह देगा? इसी आधार पर वो भी अपना फैसला लेगा। एक रोचक तथ्य और है मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग दो बार पहले भी पालिकाध्यक्ष रह चुके कांग्रेसी पृष्ठभूमि के उदार भाजपा प्रत्याशी प्रवीण अग्रवाल के व्यक्तित्व से प्रभावित है। वो उन्हें अन्य से बेहतर बता वोट देने की बात भी खुलेआम करने लगा है। बसपा ने ठाकुर प्रत्याशी श्वेतांग बिसेन को उतारा है, जिन्होंने पहले ही लगभग हार मान ली है। उनका प्रचार नगण्य है। फिलहाल, लड़ाई रोचक है। फैसला भविष्य के गर्त में है। वोटरों के मुहर की चोट कुशनगरी का मुस्तकबिल तय करेगी।
आप सांसद संजय ने गली-मुहल्लों में डेरा डाला हुआ है।
सुल्तानपुर आप सांसद संजय सिंह का गृह जिला है। वे इसी शहर के गभड़िया मुहल्ले के निवासी हैं। उन्होंने ४ मई की शाम से ही मतदान तक सुल्तानपुर में डेरा डाल दिया है। उनकी स्वयं की प्रतिष्ठा दांव पर है। यूं तो २०१७ के निकाय चुनाव में भी आप लड़ी थी, लेकिन इस बार चुनावी जंग में संजीदगी दिख रही है। संजय सिंह के अपने घर वाले मुहल्ले गभड़िया में भी आप ने महमूद को उम्मीदवार बनाया है। हरेक गली-नुक्कड़ पर अध्यक्ष व सभासद प्रत्याशी के साथ आप सांसद की सभाएं हो रही हैं। टारगेट इनका एक है भाजपा को शिकस्त देने के लिए ब्राह्मण-मुस्लिम गठजोड़ बनाना।