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‘ईडी’ सरकार की कार्यशैली से लोकतंत्र को खतरा! …अजीत पवार का जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में ‘ईडी’ सरकार के मंत्री गाड़ी, बंगला आदि सरकारी सुविधाओं का लुत्फ उठा रहे हैं, लेकिन जनता के प्रति गैर-जिम्मेदार हैं। बजट सत्र २७ फरवरी से शुरू है। कुल १८ दिनों तक सदन का कामकाज चला है। इस दौरान मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित मंत्रियों ने जिस प्रकार से सदन की परंपरा, नियम, कानून की धज्जियां उड़ाई हैं, महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक ऐसी घटना नहीं घटी है। सदन में मंत्रियों की अनुपस्थिति की घटनाएं बार-बार घटी हैं। सदन के प्रति मंत्रियों ने जिस प्रकार की अनास्था दिखाई है, यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसे शब्दों में कल प्रतिपक्ष के नेता अजीत पवार ने ‘ईडी’ सरकार पर हमला बोला।
विधि मंडल प्रेस रूम में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मंत्रियों को पद चाहिए, बंगला चाहिए, लेकिन उन्हें सदन में कामकाज नहीं चाहिए। अधिवेशन को लेकर सरकार गंभीर नहीं थी। ऐसा पहली बार हुआ जब सदन में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों की उपस्थिति बेहद कम रही। कई बार जब ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए गए तो उनका उत्तर देने के लिए सदन में मंत्री मौजूद नहीं थे, ऐसे में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा को आगे धकेलना पड़ा। सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव ने उच्चांक कायम किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को खतरे में डालनेवाले कई काम हुए। हमने अलग-अलग माध्यम से महत्वपूर्ण सवाल रखने के प्रयास किए।
अधिवेशन जनता के सवाल रखने का मंच है, हमने विरोधी दल की भूमिका नहीं अपनाई। हमारी भूमिका सभागृह चलाने की थी, लेकिन सरकार किसी की कोई बात सुनना नहीं चाहती थी। सत्तारूढ़ दल को सभागृह और विधानमंडल की सीढ़ियों पर हंगामा करते देखा गया, यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। सत्तारूढ़ दल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर को जूतों से पीटा, इससे विधानमंडल की पवित्रता भंग हुई।
अजीत पवार ने कहा कि पुरानी पेंशन को लेकर कर्मचारियों की हड़ताल हुई, लेकिन कोई ठोस पैâसला नहीं हुआ। एसटी कामगारों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। एसटी आंदोलन का समर्थन करनेवाले विधायक कहां चले गए? दादर में एक विधायक ने गोली चलाई, लेकिन कहा गया कि विधायक की रिवॉल्वर से गोली चली, लेकिन विधायक ने नहीं चलाई। हमने कई घोटालों का खुलासा किया, लेकिन सरकार ने उत्तर नहीं दिया। महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम महोत्सव मनाने का पैâसला हुआ था, लेकिन सरकार की तरफ से कोई हलचल नजर नहीं आई।

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