मुख्यपृष्ठग्लैमरतो मैं मायूस हो जाती!-नैला ग्रेवाल

तो मैं मायूस हो जाती!-नैला ग्रेवाल

‘मामला लीगल है’, ‘तमाशा’, ‘थप्पड़’ जैसी फिल्मों में नजर आईं नैला ग्रेवाल अपने पैशन को पूरा करने के लिए फिल्मों में आ गईं। गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से फिल्मों में कदम रखनेवाली नैला ने अब लीड भूमिकाओं में अपनी जगह बना ली है। फिल्म ‘इश्क विश्क’ के सीक्वल ‘इश्क विश्क रीबाउंड’ में नैला पश्मीना रोशन और रोहित सराफ जैसे कलाकारों के साथ नजर आएंगी। पेश है, नैला ग्रेवाल से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
– फिल्म ‘इश्क विश्क रिबाउंड’ में आपके क्या चैलेंजेस रहे?
‘इश्क विश्क रिबाउंड’ को करने से पहले ही मैं जानती थी कि पश्मीना मशहूर रोशन परिवार से हैं। पश्मीना का इस फिल्म से जुड़ना और मेरी को-स्टार के रूप में काम करना बेहद सुखद अनुभव था। पश्मीना अपने साथ रोशन परिवार का कोई बैगेज लेकर नहीं आई। हमारी दोस्ती कब हुई पता भी न चला। हम सभी कलाकार ऐसे घुल-मिल गए जैसे स्कूल-कॉलेज के जमाने से दोस्त हों। सभी एक्टर्स दोस्ती के रंग में कुछ ऐसे रंगे कि काम को लेकर किसी भी चुनौती का मुझे सामना नहीं करना पड़ा।
– क्या आपके परिवार ने आपको फिल्मों में काम करने की छूट दे दी थी?
माता-पिता से फिल्मों में काम करने के लिए इजाजत मांगना, उनकी मिन्नतें करना यह सब मेरे घर भी हुआ। ग्रेजुएशन के बाद मैंने मास्टर्स कोर्स पूरा किया। जब मम्मी-पापा को विश्वास हो गया कि अगर मुझे फिल्मों में कामयाबी नहीं मिली तो मास्टर्स की डिग्री होने से मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हूं और मेरा करियर कहीं और भी बन सकता है, तो उन्होंने इजाजत दे दी। अभिनय मेरे या मेरे परिवार के लिए कोई सिक्योर्ड प्रोफेशन नहीं है, ऐसे में असुरक्षा की भावना होना लाजमी है।
– कैसी रही आपकी संघर्ष यात्रा?
मैंने जब ऑडिशन देना शुरू किया तो उस वक्त मेरा यह क्लेम कभी नहीं रहा कि मुझे लीड रोल के लिए ऑडिशन देना है, लेकिन काम पाने के लिए बड़ी जद्दोजहद और बड़ा संघर्ष करना पड़ा। अनगिनत ऑडिशन देने के बाद जब रिजेक्शन मिलता तो मैं मायूस हो जाती। एक समय के बाद ऐसा लगा कि रिजेक्शन इस इंडस्ट्री में बहुत कॉमन बात है। आपको नकारा जाना एक आम बात है। इससे मायूस नहीं होना है। इस संघर्ष से मैं मानसिक रूप से काफी सशक्त हुई। खैर, संघर्ष का दौर खत्म हुआ जब टीवी शो ‘मामला लीगल है’ मिला। उसके बाद फिल्म ‘थप्पड़’ और ‘तमाशा’ मिली।
-क्या कभी आपको महसूस हुआ कि आप आउट साइडर हैं?
फिल्म के सभी कलाकार यंग और डायनैमिक थे। रोहित सराफ नए लेकिन अनुभवी एक्टर हैं। जिब्रान ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘रिश्ते’ आदि में अभिनय कर चुके हैं। पश्मीना नामी रोशन परिवार से हैं। जिब्रान भी एक्टर अर्जुन (‘महाभारत’ फेम फिरोज खान) के बेटे हैं। हर किसी ने कुछ न कुछ अचीव किया है और सभी अच्छा काम करना चाहते हैं इसलिए कोई आउट साइडर वाली फीलिंग नहीं आई।
-आपका नाम बड़ा यूनिक सा है। क्या इसका कोई मतलब भी है?
नैला यह अरेबिक नाम है। नैला का मतलब है उपस्थित रहनेवाली, जो व्यक्ति हाजिर हो वह व्यक्ति है नैला। मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनने के लिए उपस्थित हुई हूं। शायद बॉलीवुड में मेरे नाम की अन्य कोई कलाकार नहीं होगी। अगर हो तब भी मुझे अंदाजा नहीं है।
– फिल्म ‘इश्क विश्क’ को रिलीज हुए २० वर्ष पूरे हो चुके हैं। दो दशक बाद आपकी ‘इश्क विश्क रिबाउंड’ में क्या बदलाव हुए?
बदलाव तो किरदार में होने थे। २० वर्ष बाद आई हमारी फिल्म का हर किरदार कॉलेज गोइंग है, जिनके सोच और विचारों में बचपना है। मैं टिनएजर नहीं हूं, लेकिन अपने किरदार में मुझे मासूमियत लानी थी। निर्देशक ने हमसे वर्कशॉप करवाया। दोस्ती, प्यार और गलतफहमी वाली यह कहानी बिल्कुल फ्रेश है।
-आपके लिए प्यार और मोहब्बत के क्या मायने हैं?
इस कलियुग में बहुत कुछ बदला है। खून के रिश्तों में भी छोटे-मोटे कारणों से दरार पड़ रही है। समाज में पति-पत्नी के बीच तलाक और अलगाव बढ़ता जा रहा है। प्यार अगर एकतरफा हो और लड़के के प्यार में विकृति हो तो नफरत की आंधी में जलकर लड़का उस लड़की को हानि पहुंचा सकता है। वक्त के साथ बहुत कुछ बदलता जा रहा है। पहले प्यार जीवन में एक बार ही होता था, दूसरी बार प्यार नहीं समझौता हुआ करता था। अब ऐसा नहीं है। अब ‘डेटिंग ऐप्स’ आ चुका है। किसी से प्यार और ब्रेकअप एक व्हॉट्सएप के जरिए हो सकता है। रिश्तों और उन्हें निभाने के तरीकों में जमीन-आसमान का फर्क पड़ चुका है। प्यार और रोमांस के मामले में मैं अभी भी ओल्ड फैशंड हूं।

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