कई जिलों में विभिन्न ग्रुपों के नहीं हैं ब्लड
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई समेत महाराष्ट्र के ब्लड बैंकों में खून का बड़े स्तर पर टोटा है। निगेटिव के साथ पॉजिटिव खून की भी कमी बनी है। खून की कमी से जूझ रहे प्रदेश के ब्लड बैंकों में इस समय ३६,७०४ यूनिट खून ही है, जो मरीजों की जरूरतों को पूरा करने में अक्षम है। बताया गया है कि ब्लड यूनिट का यह स्टॉक १० से १२ दिनों तक ही चलेगा। दूसरी तरफ कई जिलों के ब्लड बैंकों में तीन-चार तरह के ब्लड ग्रुप के रक्त भी उपलब्ध ही नहीं है, जो चिंता का विषय बना हुआ है। इन ब्लड ग्रुप के जरूरतमंद मरीजों के परिजनों को खून के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। हालांकि, स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल इनकी मांग को पूरा करने में लगा हुआ है।
स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन द्वारा संचालित ब्लड बैंक डोनर के भरोसे चलता है। रक्त देने पर ही रक्त मिलता है, लेकिन ‘जननी सुरक्षा योजना’ के तहत प्रसूति महिला, कैदी, लावारिस व्यक्ति, सिकल सेल, थैलेसीमिया, कैंसर ग्रस्त बच्चों को बगैर डोनर रक्त देने का प्रावधान है। सिकल सेल, थैलेसीमिया, कैंसर के मरीजों को नियमित रूप से खून देना पड़ता है। इसके अलावा गंभीर बीमारी, दुर्घटना व प्रसव के मरीजों की संख्या अधिक रहती है। इससे ब्लड बैंक रक्त की कमी झेल रहा है। ऐसे में रक्त की भारी कमी को देखते हुए रक्तदाताओं से स्वस्फूर्त रक्तदान करने का आग्रह किया जा रहा है। स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के सहायक निदेशक महेंद्र केंद्रे ने कहा कि अब तक प्रदेश के ८२ से अधिक ब्लड बैंकों में ३६,७०४ यूनिट रक्त संकलित हुआ है।
ढाई महीनों में ११७ कैंप
महेंद्र केंद्रे ने कहा कि गर्मी के समय खून की भारी किल्लत होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि सभी स्कूल और कॉलेज बंद हो जाते हैं, वहीं ब्लड डोनर मुंबई और प्रदेश से बाहर चले जाते हैं। ऐसे में खून की किल्लत का सामना करना पड़ता है। हालांकि, इस किल्लत को दूर करने के लिए तमाम सामाजिक संगठनों की मदद ली जा रही है। गर्मी बीतते ही ब्लड की किल्लत दूर हो जाएगी।
यहां नहीं हैं ये ब्लड ग्रुप के खून
प्रदेश के मुंबई, ठाणे, नागपुर, पुणे, रायगड, लातूर, नासिक, सातारा, नगर को छोड़कर सभी जिलों में किसी न किसी ब्लड ग्रुप के खून उपलब्ध ही नहीं हैं। इसमें ओ निगेटिव, एसडीपी, ए निगेटिव, एबी निगेटिव, एबी पॉजिटिव, बी निगेटिव, आरडी, आरडीपी आदि ग्रुप के ब्लड का समावेश है। महेंद्र ने कहा कि उसकी पूर्ति करने के लिए जरूरी उपाय किए जा रहे हैं।