-न सूचना, न सुरक्षा
-जनता त्रस्त, प्रशासन मस्त
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई कभी अपने व्यवस्थित विकास और तेज रफ्तार जीवनशैली के लिए जानी जाती थी, आज एक बड़े निर्माण स्थल में बदल चुकी है। शहर की अधिकतर सड़कों पर गड्ढे, खुदाई, टूटे फुटपाथ और अव्यवस्था का आलम है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि मनपा आखिर क्या कर रही है?
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई हाई कोर्ट ने वर्षों पहले यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि कोई भी सड़क खुदाई या निर्माण कार्य शुरू करने से पहले साइट पर सूचना बोर्ड लगाना, शुरुआत और समाप्ति की तारीख बताना और सुरक्षा के पूरे उपाय करना अनिवार्य है, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। ज्यादातर जगहों पर न तो बोर्ड लगे हैं, न ही बैरिकेड्स और न ही नागरिकों को सूचना देने वाली कोई व्यवस्था है।
मनपा अधिनियम की धारा ३१९ और ३२१ के अनुसार, सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। फिर क्यों हर इलाका खुदाई और धूल-धक्कड़ से परेशान है? क्यों बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं टूटी हुई सड़कों और अंधेरे में असुरक्षित सफर करने को मजबूर हैं? कुछ जगहों पर काम महीनों से अधूरा पड़ा है। कहीं पाइपलाइन फटने से पानी की सप्लाई ठप है, तो कहीं दुकानों और घरों के प्रवेश मार्ग बंद पड़े हैं।
एक-दूसरे पर डाली जा रही जिम्मेदारी
विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ रहे हैं और नागरिकों की पीड़ा को अनदेखा किया जा रहा है। यह स्थिति सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का प्रमाण है। मनपा को यह समझना होगा कि विकास सिर्फ कागजों पर न्ाहीं, जमीन पर दिखना चाहिए, वह भी सुरक्षित और समयबद्ध तरीके से।