धूप है जो जिंदगी में हर कदम
न छांव है कहीं न और हम
पता भी न चला, कहां आए हम
जो है ये प्यार दिल में और गम
सफर में जो चले तो, मुश्किलें आएंगी
सुबह है जो कभी, तो शामें आएंगी
चल सको तो चलो दो कदम और भी
ये रास्ते जो मिलते हैं कभी-कभी
मुड़ के कभी किसी को, न देखेगा
बढ़ेगा हर कदम, जो चलेगा
रुकेगा न कभी, जो हौसलों से हैं परे
पाएगा मंजिलें वही जो हो चले
-मनोज कुमार
गोण्डा, उत्तर प्रदेश