वैसे तो सामान्य दिनों में भी जम्मू रेलवे स्टेशन से कोई भी ऑटोरिक्शा करें तो उसे गंतव्य तक जाने के लिए तिगुना-चौगुना किराया देकर लूट का शिकार बनना ही पड़ता है। लेकिन अब इन दिनों अमरनाथ यात्रा के चलते जम्मू रेलवे स्टेशन के बाहर भारी भीड़ देखने को मिल रही है। इनमें बड़ी संख्या में अमरनाथ यात्रियों की हैं, जो अलग-अलग ट्रेनों के माध्यम से जम्मू पहुंच रहे हैं। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से अशोक चौबे अपने चार साथियों के साथ अमरनाथ यात्रा के लिए आए हैं। उन्हें छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमरनाथ यात्रा आधार शिविर भगवती नगर जाना है। उन्होंने ऑटोरिक्शा से किराया पूछा तो ऑटोरिक्शा वाले ने २५० रुपए बताया, छह किलोमीटर के हिसाब से ज्यादा लगा तो ई-रिक्शा चालक से बात की तो उसने २०० रुपए बताया। पूछा, कुछ कम होगा तो जवाब मिला किसी से भी पता कर लें, २०० रुपए से कम में कोई नहीं जाएगा। कमोबेश ऐसे ही परेशानी से हर यात्री गुजर रहा है। ऐसे में सवाल है कि तीर्थयात्रियों की सुविधा व सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाला जम्मू प्रशासन ऐसा क्या कर रहा है जिससे जम्मू-कश्मीर आने वाले तीर्थयात्री तो किराए के नाम पर अपने को ठगा महसूस न करें। जम्मू परिवहन विभाग किस चिरनिंद्रा में हैं कोई नहीं जानता क्योंकि शहर के किसी भी स्टैंड पर किराया सूची नहीं लगी है। ऑटोरिक्शा और ई-रिक्शा वाले मनमर्जी का किराया वसूल कर रहे हैं। जम्मू रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन ५० से ६० ई-रिक्शा व ऑटोरिक्शा का परिचालन होता है। अधिकांश का रूट रेलवे स्टेशन से बस स्टैंड या एयरपोर्ट है। इन दिनों भगवती नगर आधार शिविर के लिए परिचालन बढ़ गया है।
यदि यातायात नियम की बात करें तो ई-रिक्शा में चार और ऑटोरिक्शा में तीन सवारियां बैठती हैं, लेकिन अब ई-रिक्शा वाले आठ तो ऑटोरिक्शा वाले छह सवारियां बैठा रहे हैं। ई-रिक्शा चालकों की मनमानी सबसे ज्यादा है। परिवहन विभाग के अनुसार पांच किमी की दूरी के हिसाब से किराया २० रुपए प्रति सवारी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
जम्मू शहर में वैâनाल रोड, ज्यूल चौक, सतवारी, गांधीनगर, त्रिकुटा नगर सहित हर स्टैंड पर ऐसी ही स्थिति है। ई-रिक्शा और ऑटोरिक्शा सवारियों की मजबूरी का फायदा उठा रहे है। ऑटोरिक्शा चालक ई-रिक्शा चालकों पर अधिक किराया वसूलने का आरोप लगाते हैं जबकि ई- रिक्शा चालक तर्क देते हैं कि हम ऑटोरिक्शा से कम पैसा ले रहे हैं।
जबकि ई-रिक्शा चालक स्टेशन से छह किमी दूर आधार शिविर तक प्रति सवारी ५० रुपए किराया वसूल रहे हैं। प्रशासन को देखना चाहिए कि कोई किराए के नाम पर ठगा महसूस न करे।
एआरटीओ जम्मू, रिहाना तबुस्सम का दावा है कि सभी ऑटोरिक्शा स्टैंड पर किराया सूची लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। ओवरलोडिंग और ओवरचार्जिंग पर नकेल कसी जा रही है। यात्रियों के साथ अगर कोई ऐसा करता है तो ऑटोरिक्शा पर लिखे संबंधित विभाग के हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करें। एआरटीओ का यह बयान भले ही सुनने में अच्छा लगे लेकिन किस तीर्थयात्री के पास इतना समय है, या कौन सा ऐसा मोबाइल फोन है जो जम्मू-कश्मीर में काम करता हो जिससे वह शिकायत दर्ज करवा सके। अव्वल तो बाहरी राज्यों के मोबाइल जम्मू के प्रवेशद्वार लखनपुर में प्रवेश करते ही बंद हो जाते हैं। दूसरे आधार शिविर में एंट्री के बाद सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी यात्री को बाहर जाने पर मनाही है। तीसरे, भाग-दौड़ के इस जीवन में प्रत्येक तीर्थयात्री समयबद्ध होकर यात्रा करता है तो सोचिए वह कैसे शिकायत आदि के झंझट में फंसने की हिम्मत जुटा पाएगा? यह कार्य मूकदर्शक बने प्रशासन को ही करना है। उसे सड़क पर उतर कर स्थिति को अनुकूल बनाने के लिए वातानुकूलित कार्यालयों को त्यागना पड़ेगा।
(उपरोक्त आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं। अखबार इससे सहमत हो यह जरूरी नहीं है।)