मुख्यपृष्ठस्तंभतीसरा कॉलम : शरद पवार हो सकते हैं विपक्ष के सूत्रधार!

तीसरा कॉलम : शरद पवार हो सकते हैं विपक्ष के सूत्रधार!

आगामी वर्ष २०२४ में देश की १८वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव होने हैं, परंतु वर्तमान में केंद्र में सत्ताधारी भाजपा व उसके सहयोगी दलों को टक्कर देना विपक्षी और क्षेत्रीय दलों के लिए चुनौती बनी हुई है। यह तो साफ है कि क्षेत्रीय दलों को रोकने और कांग्रेस को दरकिनार करने के लिए सत्तापक्ष ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है। स्वस्थ लोकतंत्र में सरकार के कामकाज पर नजर रखना और मुद्दों पर विरोध करना विपक्ष का काम ही नहीं उनकी जिम्मेदारी भी है। यही आवाज बुलंद करने के लिए विपक्षी दलों में आपसी तालमेल बैठाने की कोशिशें निरंतर चल रही हैं। लेकिन अलग-अलग विचारधाराओं और आपसी `अहं’ के टकराव से बात बनते-बनते रह जाती है। परंतु विपक्ष एक बार फिर लामबंद होता दिख रहा है। `जो आग तेरे दिल में, वही मेरे दिल में…’ वाली भावना लेकर विपक्ष एकजुट होने की कोशिश में है। जिस तरह बिहार में नीतिश कुमार और तेजस्वी यादव ने आपसी मतभेदों को मिटाकर भाजपा को सत्ताच्युत किया, वह भाजपा को लगा तगड़ा झटका है। यह सशक्त विपक्ष का उदाहरण भी है। इसकी प्रेरणा भी महाराष्ट्र से ही मिली, जहां महाविकास आघाड़ी की सरकार का गठन करके भाजपा को धूल चटाने में शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा ने सफलता के झंडे गाड़े थे। हालांकि, शिवसेना से गद्दारी करवा कर विधायकों को अपने साथ जोड़कर भाजपा ने यहां सत्ता बना ली है। `फूट डालो और राज करो’ का अंग्रेजों का फार्मूला वह अन्य राज्यों में भी अपना चुकी है, लेकिन महाविकास आघाड़ी को तोड़ने में भाजपा कामयाब नहीं हो पाई है। पिछले कुछ उपचुनाव और स्थानीय चुनावों में महाविकास आघाड़ी को मिली भारी सफलता से भाजपा का सिरदर्द बढ़ गया है। इन सारे घटनाक्रम में राकांपा मुखिया शरद पवार की मजबूत रणनीति का लोग लोहा मान रहे हैं। शरद पवार देश की राजनीति में सबसे अनुभवी और कूटनीति में सबसे अव्वल माने जाने वाले महाराष्ट्र के लोकप्रिय नेता हैं। ममता बनर्जी, नीतिश कुमार, मायावती, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल को साथ बैठाना विपक्ष की जरूरत है। बसपा, आप, सपा जैसी पार्टियों में तालमेल करना होगा। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु के दलों को साथ लेना होगा। एक मजबूत विपक्ष बनाने के लिए सामंजस्य बैठाने वाला अनुभवी नेतृत्व जरूरी है। ऐसे में शरद पवार इस समय देश में अकेले व्यक्ति हैं जो पूरे हिंदुस्थान के विपक्षी एकता में जान फूंकने का काम कर सकते हैं। कांग्रेस सहित देश के अनेक राजनीतिक दल जिस तरह से शरद पवार की बातों को मानते हैं, समझते हैं, उससे यह अंदाजा लगता है कि यदि वे राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता की बागडोर थामें तो बहुत सशक्त और असरकारी विपक्ष बन सकता है। शरद पवार के व्यक्तिगत तौर पर लगभग सभी विपक्षी नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं। सभी उनकी बात को महत्व देते हैं। खुद भाजपा के कई बड़े नेता और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शरद पवार को व्यक्तिगत तौर पर बहुत इज्जत देते हैं। शरद पवार को कूटनीति का माहिर नेता माना जाता है। यदि वे विपक्ष के सूत्रधार बनते हैं तो निश्चित देश की वर्तमान राजनीति को महत्वपूर्ण दिशा और नई गति मिलेगी।
(लेखिका स्तंभकार एवं सामाजिक, राजनीतिक मामलों की जानकार हैं।)

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