• लिखित परीक्षा का किया विरोध
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के तृतीयपंथी ‘मिंधे’ सरकार से नाराज हैं। समाज में उपेक्षित रहनेवाले तृतीयपंथियों को मुख्यधारा में लाने के लिए पुलिस भर्ती में उन्हें मौका देने की अनुमति मुंबई उच्च न्यायालय ने दी है। परंतु उनकी शारीरिक निरीक्षण की शर्तें अब तक ‘मिंधे’ सरकार ने तय नहीं की है, जिसके कारण तृतीयपंथी उम्मीदवारों ने पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा का विरोध किया है।
पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा १९ मार्च को होनेवाली है। तृतीयपंथियों को पुलिस कांस्टेबल और चालक भर्ती में प्रधानता दी जाएगी, ऐसा ‘मिंधे’ सरकार ने घोषित किया था। ७२ तृतीयपंथी उम्मीदवारों ने इसके लिए आवेदन किया है। जलगांव के एक उम्मीदवार ने इस प्रवर्ग के लिए आवेदन किया था। १४ फरवरी को उसने मंत्रालय के गृहविभाग के अधिकारियों से मुलाकात करके, तृतीयपंथियों के लिए शारीरिक शर्तें तय की जाएं, ऐसी विनती की थी, परंतु उसे प्रतिसाद नहीं मिला। धुले में पुलिस भर्ती के लिए मैदान में निरीक्षण के दौरान उसे भगा दिया गया, ऐसा आरोप उसने लगाया है। २८ फरवरी से पहले तृतीयपंथियों की भर्ती के लिए शर्तें निश्चित करने का आदेश उच्च न्यायालय ने सरकार को दिया है। इसके लिए ६ पुलिस अधिकारियों की समिति बनाई गई। परंतु अब तक शर्तें तय न होने के कारण तृतीयपंथी उम्मीदवारों को अड़चनें हो रही हैं। ऐसे में जब तक ये शर्तें तय नहीं हो जातीं, तब तक लिखित परीक्षा नहीं कराई जाए, ऐसी मांग तृतीयपंथियों ने की है।