-हजारों करोड़ की कर्जे वाली कंपनियां खरीदकर किया सेटलमेंट
-कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा सरकार पर बोला हमला
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में ‘घाती’ सरकार लाडली बहन योजना लागू कर वोटरों को लुभाने की कोशिशों में लगी हुई है, उधर मोदी सरकार अपने लाडले उद्योगपति अडानी को फेवर करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। मोदी सरकार के इस ‘लाडला उद्योगपति योजना’ का परिणाम है कि देश के प्रमुख बैंकों को ४६ हजार करोड़ रुपयों का फटका लगा है।
मोदी है तो मुमकिन है
१६ हजार करोड़ रुपए में खरीद ली
६२ हजार करोड़ रुपए
की कंपनियां!
अडानी समूह की बल्ले-बल्ले
मोदी सरकार की ‘लाडला उद्योगपति योजना’ चालू है। अडानी समूह ने बैंकों को ४६ हजार करोड़ रुपए का फटका लगा दिया है। असल में अडानी समूह ने १० ऐसी बीमार कंपनियों को खरीदा, जिनके ऊपर विभिन्न बैंकों के ६२ हजार करोड़ रुपए बकाया थे। अडानी समूह ने इन कंपनियों को खरीदकर सिर्फ १६ हजार रुपयों में सेटलमेंट कर लिया, जिससे बैंकों को ४६ हजार करोड़ का चूना लगा। इस बारे में अखिल भारतीय बैंक एंप्लॉइज एसोशिएशन ने आंकड़े जारी किए हैं।
बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कथित तौर पर बैंक एंप्लॉइज एसोसिएशन द्वारा जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक रूप से संकटग्रस्त १० कंपनियों के लगभग ६२,००० करोड़ रुपयों के दावों का निपटान करना पड़ा। इन कंपनियों को अडानी समूह द्वारा अधिग्रहीत किए जाने के बाद, उन्हें केवल १६,००० करोड़ रुपए से समझौता करना पड़ा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कथित तौर पर एसोसिएशन द्वारा साझा किए गए विवरण की एक तस्वीर साझा की, जिसमें दिखाया गया कि १० कंपनियों को ९६ प्रतिशत से ४२ प्रतिशत तक ‘हेयरकट’ दिया गया था, क्योंकि इन कंपनियों को अडानी समूह द्वारा खरीदा गया था। जयराम रमेश ने कहा कि अर्थशास्त्र की भाषा में कहें तो यह बैंकों द्वारा लिया गया ७४ फीसदी ‘हेयरकट’ है। बता दें कि कांग्रेस लंबे समय से अडानी समूह के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाती रही है। हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को झूठा बताते हुए कहा है कि वह सभी कानूनों का पालन करते हैं और इसमें कोई भी अनियमितता नहीं है। बता दें कि एक तरफ देश में भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अभूतपूर्व वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं, दूसरी तरफ इस तरह का खेल चल रहा है।
जयराम रमेश ने बैंक एंप्लॉइज एसोसिएशन द्वारा दिए गए विवरण की एक तस्वीर साझा की, जिसमें दिखाया गया कि १० कंपनियों को ९६ प्रतिशत से ४२ प्रतिशत तक ‘हेयरकट’ दिया गया था, क्योंकि इन कंपनियों को अडानी समूह द्वारा खरीदा गया था।