दीपक तिवारी / विदिशा
सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार रोकने, कामकाज में पारदर्शिता रखने, अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के उद्देश्य से 20 साल पहले बने सूचना का अधिकार अधिनियम को अधिकारी इतने सालों बाद भी पूरी तरह लागू न कर रौंदने का काम कर रहे हैं। जिले में लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपील अधिकारी डंके की चोट पर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। जिला पंचायत में लोक सूचना अधिकारी नियमों के विरुद्ध मामले की सुनवाई कर रहे हैं तो ग्राम पंचायत सचिवों के खिलाफ जनपद पंचायत में अधिकार न होते हुए भी प्रथम अपील की सुनवाई नियम विरुद्ध सीईओ कर रहे हैं, जबकि कलेक्टर अंशुल गुप्ता द्वारा आरटीआई पर कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं, बावजूद इसके अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
जनपद सीईओ को सुनवाई का अधिकार नहीं, फिर भी बगैर सुनवाई कर दी अपील खारिज
ग्राम पंचायतों के लोक सूचना अधिकारी अर्थात सचिवों के विरुद्ध आरटीआई की प्रथम अपील सुनने का अधिकार पंचायत इंस्पेक्टर्स को दिया गया है, लेकिन विदिशा जिले में नियमों को ताक पर रखकर ग्राम पंचायत के लोक सूचना अधिकारियों के विरुद्ध की जाने वाली अपील की सुनवाई जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कर रहे हैं।
ताजा मामला विदिशा जनपद पंचायत का है, जहां ग्राम पंचायत इमलिया लश्करपुर के विरुद्ध की गई अपील को जनपद पंचायत सीईओ ने बगैर सुनवाई किए ही खारिज कर दिया। जबकि उन्हें इसका अधिकार ही नहीं है। धारा 19 (1) के तहत सूचना अधिकार अधिनियम अंतर्गत की जाने वाली प्रथम अपील में पंजीयन के बाद विधिवत सुनवाई होती है, उसके बाद कोई फैसला पारित होता है। लेकिन जनपद पंचायत सीईओ ने बगैर तारीख दिए और बगैर सुनवाई किए ही प्रथम अपील खारिज कर दी। यह मामला अब सूचना आयोग तक जाएगा और वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले ग्राम पंचायत इमलिया लश्करपुर के सचिव ने अलग-अलग तारीखों में भेजी गई रजिस्टर्ड डाकों को लेने से इनकार कर दिया था, जिसका प्रतिवेदन जांच के बाद कार्रवाई के लिए सूचना आयोग को भेजा गया है। इसके बाद भी जनपद पंचायत के अधिकारी अपील को खारिज कर रहे हैं।
जिला पंचायत में लोक सूचना अधिकारी ने की खुद के मामले की सुनवाई
जिला पंचायत में 9 जून को सूचना का अधिकार के तहत प्रथम अपीलों की सुनवाई जिला पंचायत सीईओ को करना थी। लेकिन उनकी गैरहाजिरी में जिला पंचायत की लोक सूचना अधिकारी डॉ ऋचा जैन ने दो अपीलों की सुनवाई कर डाली। इनमें से एक अपील जिला पंचायत की लोक सूचना अधिकारी के खिलाफ अर्थात डॉ. ऋचा जैन के विरुद्ध ही की गई थी। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अपने ही विरुद्ध की गई अपील की सुनवाई कोई अधिकारी खुद कैसे कर सकता है? लेकिन जब कोई कहने और सुनने वाला न हो और शिकायतों से अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क ना पड़ता हो तो विदिशा जिले में कुछ भी हो सकता है। ये इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है। जिला पंचायत सीईओ को अपनी गैर हाजिरी में अपीलों की सुनवाई के लिए जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ को अधिकृत करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।