सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड की सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी को खरी-खरी सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सरकार के प्रमुखों से ‘पुराने जमाने के राजा’ होने की उम्मीद नहीं की जा सकती और हम ‘सामंती युग’ में नहीं हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड) में पेड़ों की अवैध कटाई व भ्रष्टाचार के आरोप में हटाए गए आईएफएस अधिकारी को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक बनाने को लेकर सीएम धामी के पैâसले की आलोचना की। कोर्ट ने कहा, `हम सामंती युग में नहीं कि…जैसा राजा बोले वैसा हो।’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सीएम धामी से सवाल किया कि उन्होंने राज्य के वन मंत्री और अन्य लोगों की राय की अनदेखी करते हुए एक भारतीय वन सेवा अधिकारी को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त किया। हालांकि, राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि भारतीय वन सेवा अधिकारी को टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त करने का आदेश ३ सितंबर को वापस ले लिया गया था। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक आईएफएस अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त किए जाने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही इस पीठ में न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे।
सीएम को उनसे विशेष स्नेह क्यों?
इस दौरान पीठ ने पूछा, `मुख्यमंत्री को उनसे (आईएफएस राहुल) विशेष स्नेह क्यों होना चाहिए? क्या सिर्फ इसलिए कि वे मुख्यमंत्री हैं तो वो कुछ भी कर सकते हैं? जबकि पीठ ने यह भी पाया कि आईएफएस अधिकारी के खिलाफ अभी विभागीय कार्यवाही लंबित है, वहीं विशेष टिप्पणी का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री बस इसे अनदेखा कर रहे हैं।