मुख्यपृष्ठनए समाचारडॉक्टरों पर हमला करने वालों को सात साल की कैद व पांच...

डॉक्टरों पर हमला करने वालों को सात साल की कैद व पांच लाख हो जुर्माना! …आईएमए ने घोषणापत्र जारी कर की मांग

सामना संवाददाता / मुंबई
चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा और सुविधाएं मुख्य रूप से राज्य के अधिकार क्षेत्र का मामला है। इसलिए राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि नागरिकों को सस्ती दरों पर और नैतिक रूप से गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान की जाएं। इसी के साथ ही डॉक्टरों को एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण माहौल प्रदान किया जाए। ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ ने इन सुरक्षा कवचों के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण मांगों को रखते हुए स्वास्थ्य घोषणापत्र प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव डॉ. अनिल नायक, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद कुमार अग्रवाल, उपाध्यक्ष डॉ. शिवकुमार उतुरे, प्रदेश अध्यक्ष संतोष कदम ने इस विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उम्मीदों भरा घोषणापत्र जारी किया।
आईएएम के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संतोष कदम ने कहा कि अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमलों को कम करने के लिए महाराष्ट्र के मेडिकेयर अधिनियम, २०१० में संशोधन किया जाना चाहिए। साथ ही दोषियों को न्यूनतम सात साल की वैâद और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना हो। इसी के साथ ही ५० बेडों से कम वाले अस्पतालों को नर्सिंग होम एक्ट से पूरी तरह बाहर करना चाहिए। वर्तमान में पंजीकरण की अत्यधिक जटिल शर्तों के कारण छोटे और मध्यम अस्पताल बंद होने के कगार पर हैं। ऐसे में बिना कारण बैंक गारंटी की शर्त को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना में इच्छा रखनेवाले सभी अस्पतालों को शामिल किया जाए। इस घोषणापत्र में इस बात पर भी फोकस किया गया है कि स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। लेकिन छात्रों की रहने की स्थिति अभी भी दयनीय है।
कार्य के स्वरूप, घंटों के बीच होना चाहिए तालमेल
अस्पतालों में काम करते समय डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उचित उपाय समय की जरूरत है। पश्चिम बंगाल में हुई दुर्घटना को टालने के लिए रात्रि पाली के दौरान विशेष रूप से महिला डॉक्टरों के लिए एक अलग, सुरक्षित, सर्वसुविधायुक्त विश्राम कक्ष होना चाहिए। निवासी डॉक्टरों के काम के स्वरूप और घंटों और बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ ही योग्य शिक्षकों की भर्ती भी शामिल होनी चाहिए। दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी तरह भोजन, चिकित्सा उपकरणों पर लगने वाला पांच से अठारह फीसदी जीएसटी माफ किया जाए। इसी के साथ ही अन्य मांगों का जिक्र भी घोषणापत्र में किया गया है।

अन्य समाचार