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बात-जज्बात : अब नहलायेगी मशीन…!

राज ईश्वरी

‘ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए गाना आए ना आए गाना चाहिए…’ फिल्म ‘पति पत्नी और वो’ का यह गीत कभी न कभी आपने सुना ही होगा। अब चॉइस आपकी है कि आपको ठंडे पानी से नहाना है या गर्म पानी से और खुद नहाना है या नहाते हुए गाना है या फिर मशीन से खुद को ‘नहलवाना’ है। बिल्कुल सही सुना आपने ‘नहलवाना’ है और वह भी मशीन से!
जी बिल्कुल, एक ऑप्शन आपके सामने जल्दी ही आ जाएगा! जिस तरह से कपड़े धोने की वॉशिंग मशीन है, बर्तनों को धोने की डिशवॉशर है… इस तरह इंसान को ‘धोने’ की भी मशीन भी बन गई है। इस मशीन का नाम है ‘मिराई निंगेन सेंटाकुकी’ (भविष्य की मानव वॉशिंग मशीन)। यह मशीन एक पॉड की तरह दिखती है। जब आप इसमें प्रवेश करते हैं, तो यह गर्म पानी से भर जाती है। फिर छोटे-छोटे बुलबुले निकलते हैं जो आपके शरीर को साफ करते हैं। इस मशीन में लगे सेंसर आपके शरीर का तापमान और अन्य चीजों को एनलाइज करते हैं और फिर उसके अनुसार मशीन काम करती है। १५ मिनट में आप तरोताजा होकर बाहर निकल सकते हैं।
सच तो यह है कि नहाने-धोने की इस मशीन का ईजाद १९७० में ही हो गया था, लेकिन रिस्पांस न मिलने की वजह से यह बीते जमाने की चीज बनकर रह गई थी।
१९७० में कक्षा चार का एक विद्यार्थी एग्जीबिशन में इस मशीन को देखकर अभिभूत हो गया था। आओयामा नाम था उसका। उस जमाने में कई घरों में बाथरूम नहीं थे और लोग नियमित रूप से पब्लिक हमामों का इस्तेमाल करते थे। वक्त गुजरता चला गया उसके दिमाग में वह मशीन घर कर गई थी। आओयामा की कंपनी ऐसे बाथटब और शॉवरहेड्स का कारोबार करती है, जो ऐसी टेक्नोलॉजी से विकसित किए गए हैं, जो स्नान करनेवाले के शरीर को साफ करने के लिए सूक्ष्म बुलबुलों का उपयोग करते हैं, तो उन्होंने एक्सपो के समय में ही अपने सपनों की मशीन बनाने का निर्णय लिया और दुनिया के सामने आया ‘मिराई निंगेन सेंटाकुकी’। फिलहाल अगर आपको नहाने का मजा लेना है तो जापान जाना होगा। वहां पर एक्सपो के दौरान आपको यह मौका मिल सकता है! क्या पता हो सकता है कि आपका दिमाग भी आओयामा की तरह दौड़ने लगे और भविष्य में आप इसे भी ज्यादा विकसित टेक्नोलॉजी की ह्यूमन वॉशिंग मशीन बनाने में सफल हो जाएं! भविष्य को किसने देखा है? क्योंकि हमारा हिंदुस्थान एक ऐसा देश है, जहां आमतौर पर लोग रोज नहाने पर विश्वास करते हैं! चाहे कड़ाके की ठंड हो। हिंदुस्थानी कल्चर में भी नहाने को पवित्रता से जोड़कर अलग और जरूरी नजरिये से जोड़ा गया है।
क्या आप जानते हैं सारी दुनिया में सबसे ज्यादा लोग रोजाना हिंदुस्थान में नहाते हैं? क्या रोज नहाना जरूरी है? लेकिन विज्ञान इसे सही नहीं मानता! इस विषय में कल बात करेंगे… तब तक गुनगुनाइए ‘ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए…!’

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