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म्हाडा के हजारों मकानों और दुकानों के नहीं मिल रहे खरीददार!

३०,००० करोड़ रुपए फंसे
११,१९३ मकानें
२९८ दुकानें खा रही हैं धूल

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबई में म्हाडा की लॉटरी के लिए हजारों लोग फॉर्म भर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राज्यभर में म्हाडा के हजारों मकान खरीदारों की कमी के कारण धूल खा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, म्हाडा के ११,१९३ मकान ऐसे हैं, जिन्हें कोई खरीदने के लिए तैयार नहीं है, जिससे म्हाडा के लगभग तीन हजार करोड़ रुपए फंसे हुए हैं। यह स्थिति म्हाडा के लिए गंभीर आर्थिक नुकसान का कारण बन रही है और संस्था अब इन मकानों को बेचने के लिए नए उपायों पर विचार कर रही है।
म्हाडा की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आम लोगों को किफायती घर उपलब्ध कराना है। इसी उद्देश्य के तहत म्हाडा ने मुंबई के अलावा कोकण, पुणे, संभाजीनगर, अमरावती, नागपुर और नासिक में भी मकान बनाए और लॉटरी के माध्यम से बेचने की कोशिश की। हालांकि, इन शहरों में स्थित म्हाडा के कई मकान आज भी खाली पड़े हैं क्योंकि खरीदार उनमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। म्हाडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि मकानों के अलावा राज्यभर में म्हाडा की २९८ दुकानें भी बिना बिके पड़ी हैं। इन दुकानों को बेचने के लिए कई बार लॉटरी और विज्ञापन दिए गए फिर भी बिक्री नहीं हो पाई। इस स्थिति के कारण म्हाडा का फंड अटक गया है और मकानों की सुरक्षा और रख-रखाव पर भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है।
खाली पड़े मकानों की हालात हो सकती है खस्ता
खाली पड़े मकानों की हालत समय के साथ खराब हो जाती है, जिनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं किए जाते तो घुसपैठ का खतरा बना रहता है। इन मकानों की सुरक्षा बनाए रखना म्हाडा के लिए चुनौतीपूर्ण हो रहा है, जिससे संस्था पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी बढ़ रहा है। इस परिस्थिति ने म्हाडा के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है और अब देखना होगा कि संस्था इन मकानों को वैâसे बेचती है और अपने फंसे हुए फंड को निकाल पाती है।

फंसे हुए मकान और राशि
-कोकण: ५,३११ मकान – १,६६९ करोड़ रुपए
-पुणे: २,१४४ मकान – ६७३ करोड़ रुपए
-नागपुर: १,२०३ मकान – १९१ करोड़ रुपए
-अमरावती: १,०२२ मकान – १०८ करोड़ रुपए
-संभाजीनगर: ९४९ मकान – १५५ करोड़ रुपए
-नासिक: ५६४ मकान – ८७ करोड़ रुपए
-कुल मकान: ११,१९३
-कुल दुकानें: २९८

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