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‘मिशन २०२४’ पर खतरा… टूट रहे हैं भाजपा के अपने! अखिलेश को मिला अनुप्रिया का साथ

  • जातिगत जनगणना पर ‘अपना दल’ ने किया समर्थन

सामना संवाददाता / लखनऊ
लोकसभा में तीसरी बार कब्जा जमाने के मकसद से भाजपा ‘मिशन-२०२४’ पर पिछले करीब दो वर्षों से काम कर रही है। २०२४ में होनेवाला आम चुनाव भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर ही लड़ेगी, ये पहले ही साफ हो चुका है। चुनाव से पहले अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा का अभी से एलान करके माहौल बनाने का प्रयास शुरू हो चुका है। हिजाब, हलाल, मस्जिदों के भोंगे बनाम हनुमान चालीसा विवाद और ‘कश्मीर फाइल्स’ तथा ‘द केरला स्टोरी’ जैसी फिल्मों का प्रचार भाजपा के लोग इसी मकसद से कर रहे हैं। लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा का मिशन- २०२४ खतरे में पड़ता नजर आ रहा है, क्योंकि भाजपा के अपने ही अब धीरे-धीरे भाजापाई नीतियों के खिलाफ मुखर होने लगे हैं।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के दौर में दर्जनभर राजनीतिक दलों का सहयोग लेकर सियासी अखाड़े में उतरनेवाली भाजपा के साथ आज पीएम मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के दौर में कुछ ही दल शेष बचे हैं वो भी केंद्रीय जांच एजेंसियों के डर से। लेकिन कर्नाटक चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद अब केंद्रीय एजेंसियों से घबरानेवाले भाजपा के कई अपनों (सहयोगियों) का डर खत्म होने लगा है। इसका नमूना अब महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना का मुद्दा हावी होता जा रहा है। बिहार में इस जनगणना के शुरू होने के बाद अखिलेश यादव यूपी में भी इसे कराने की लगातार मांग करते रहे हैं। अखिलेश यादव द्वारा बिहार की तर्ज पर यूपी में जातिगत जनगणना कराने की मांग किए जाने के बाद भाजपा की सहयोगी अनुप्रिया पटेल भी कुछ ऐसा ही राग अलापती दिखी। जातिगत जनगणना पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से सवाल किया गया तो उन्होंने समर्थन करते हुए कहा, ‘सरकार की योजनाएं कितनों के पास पहुंच रही हैं, कितनों के पास पहुंचना अभी बाकी है। इस पूरी प्लानिंग को बनाने के लिए सरकार के पास आधिकारिक आंकड़े होने चाहिए।’ ये बयान उन्होंने एक निजी चैनल के साथ बातचीत के दौरान दिया है। गौरतलब हो कि ये पहला मौका नहीं है जब इस मुद्दे पर अखिलेश यादव को विरोधियों का साथ मिला है। इससे पहले भी यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी कई मौकों पर जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन कर चुके हैं।

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