उमेश गुप्ता / वाराणसी
रेलवे में यात्री सुविधाओं, भ्रष्टाचार पर अंकुश और पारदर्शिता के तमाम दावों के बीच तत्काल टिकट के नाम पर यात्रियों से मनमानी रकम वसूलनेवाले अंतरराज्यीय गिरोह के तीन दलालों को आरपीएफ और सीआईबी ने गिरफ्तार कर लिया। बनारस रेलवे स्टेशन से जुड़ी आरपीएफ टीम ने जिन दलालों को पकड़ा हैं उनमें दो बनारस के और एक जौनपुर का रहनेवाला है। पुलिस टीम ने इनके पास से 1 लाख 72 हजार के तत्काल टिकट बरामद किए हैं। इनके पास से हुई बरामदगी ही बता रही है कि टिकटों की दलाली किस पैमाने पर होती थी। हालांकि, इस गिरोह से रेलवे के लोगों की भी संल्पितता की खबर आ रही है, लेकिन इसकी पुष्टि नही हो सकी है। आरपीएफ ने तीनों से पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया।
बनारस रेलवे स्टेशन के रेलवे पुलिस फोर्स व क्राइम टीम को सूचनाएं मिल रही थीं कि तत्काल टिकट के नाम पर यात्रियों को चूना लगानेवाला गिरोह सक्रिय है। इसके बाद पुलिस टीम ने इनकी जांच शुरू की। पता चला कि इन दलालों में जौनपुर जिले के नेवढ़िया के वैभव मिश्रा, वाराणसी कोतवाली क्षेत्र के निशांत श्रीवास्तव और जैतपुरा थाना क्षेत्र के चौकाघाट निवासी राकेश सोनकर हैं।शुक्रवार को सर्विलांस और मुखबिर के जरिए पता चला कि तीनों कैंट स्टेशन-लहरतारा मार्ग पर स्थित वसुंधरा नगर कालोनी गेट नम्बर तीन के बाहर एक दुकान पर मौजूद हैं। इसके बाद आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक परमेश्वर कुमार, रेलवे क्राइम टीम के इंस्पेक्टर राजेश कुमार अपनी टीम के साथ पहुंचे और घेराबंदी कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया। तलाशी में इनके पास से एक लाख 72 हजार रुपए के तत्काल टिकट बरामद हुए। पूछताछ में पता चला कि तीनों रेलवे टिकटों की दलाली करनेवाले संगठित गिरोह से जुड़े हैं। तीनों टिकटों की कालाबाजारी कर ऊंचे दामों पर बेचते हैं। पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि हम लोग टिकट दिल्ली, आगरा अलीगढ़ और मुरादाबाद से बस से मंगवाते थे। बस का कंडक्टर बनारस आकर हमलोगों को टिकटें देता था। इसके बाद गिरोह यात्रियों को अधिक पैसे लेकर टिकटें बेचता था। सूत्रों के अनुसार, रेलवे के पार्सल से लगायत टिकटों की दलाली का खेल करनेवाले गिरोहों का जाल कैंट स्टेशन से लेकर लहरतारा तक दशकों से फैला हैं। नम्बर दो के इस कारोबार और प्रतिद्वंद्विता में कई संगीन वारदातें हो चुकी हैं। लेकिन अब गिरोह का दायरा बनारस रेलवे स्टेशन, वाराणसी सिटी और काशी स्टेशन तक फैला हुआ है। देखना यह है कि इन दलालों के गिरोह के आकाओं तक पुलिस पहुंच पाती है या नही़?