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४८ घंटों में हुए तीन शवदान! १० लोगों को मिलेगी नई जिंदगी

  • जागरूकता बढ़ाने की शुरू है कवायद

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में पिछले ४८ घंटों में तीन शवदान किए गए हैं। इन तीनों शवदानों के माध्यम से कुल दस अंगदान किए गए हैं। इनमें कार्निया, दो दिल, तीन लीवर, एक फेफड़ा और चार किडनी का समावेश है। इससे दस लोगों को नई जिंदगी भी मिलने वाली है। मुंबई में बीते ढाई महीनों में कुल सात शवदान हुए हैं। जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन कमेटी के सचिव डॉ. भरत शाह के मुताबिक, कोरोना महामारी के दौरान अंगदान के मामलों में कमी आई थी, जिसे बढ़ावा देने और अंगदान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं। इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
हिंदुस्थान में बीते कुछ सालों से प्रत्यारोपण के लिए अंगों की उपलब्धता में कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। देश में हर चार ट्रांसप्लांट में से केवल एक सरकारी क्षेत्र में होता है, वहीं केंद्रीय स्तर पर अंगदान की व्यवस्था को एक समान बनाने और शवदान को बढ़ावा देने के लिए बेहद अहम फैसला लिया गया है, जिसका लाभ केवल महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब और बिहार राज्यों ने उठाया है। पिछले पांच साल में केंद्र की तरफ से राज्यों को अंग प्रत्यारोपण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र वाले केंद्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से चलाए जा रहे कार्यक्रम के तहत सिर्फ इन्हीं चार राज्यों ने अनुदान मांगा है।
शवदान के लिए प्रोत्साहन की जरूरत
हिंदुस्थान में अंग प्रत्यारोपण के हर पांच मामले में से एक से भी कम शवदान के कारण संभव हो पाता है, वहीं शवों के अंगदान को बढ़ाने के लिए कई वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं। साल २०२२ में हिंदुस्थान में १५,५५६ अंगों का प्रत्यारोपण हुआ और इसमें से केवल २,७६५ अंग शवदान की वजह से मिले थे। हालांकि, संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है। साल २०१३ में ८३७ देहदान से २०२२ में यह आंकड़ा बढ़कर २,७६५ हो गया है। जागरूकता की कमी और सामाजिक और धार्मिक आस्थाएं ऐसे ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।
मुंबई में दो साल में हुए ७८ शव दान
जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन कमेटी (जेडटीसीसी) के मुताबिक, साल २०२१ में शहर के विभिन्न अस्पतालों में ३१ शवदान हुए थे, जबकि पिछले साल यह संख्या बढ़कर ४७ पर पहुंच गई। इसी तरह इस साल ढाई महीनों में सात शवदान किए गए है। जेडटीसीसी के सचिव डॉ. भरत शाह के मुताबिक, यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो उन रोगियों के लिए एक अच्छा संकेत है, जिन्हें अंगों की आवश्यकता है। हम नियमित कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं और ब्रेन डेड रोगियों के परिवार को अंगदान के लिए आगे आने के लिए परामर्श भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेडटीसीसी को अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले दानदाताओं में से एक के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए मीरा रोड स्थित काशीमीरा पुलिस थाने में १२ घंटे तक संघर्ष करना पड़ा।

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