मुख्यपृष्ठग्लैमर‘किस-किस को सच बताती फिरूं!’-भूमि पेडणेकर

‘किस-किस को सच बताती फिरूं!’-भूमि पेडणेकर

फिल्म ‘रक्षाबंधन’ और ‘बधाई दो’ के बाद ‘धर्मा प्रोडक्शन’ की ओटीटी पर रिलीज हुई भूमि पेडणेकर की फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ को उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद भूमि के पास अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव हैं। उनकी ‘अफवाह’ और ‘भक्षक’ फिल्में रिलीज पर हैं और हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘भीड़’ में भूमि के साथ राजकुमार राव और पंकज कपूर जैसे उम्दा कलाकार हैं। पेश है, भूमि पेडणेकर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
• कोरोना का दौर आपके लिए कैसा रहा?
२०२२ से साल के बारहों महीने मैं शूटिंग कर रही हूं। २०२०-२०२१ का दौर मेरे साथ ही पूरी दुनिया के लिए अच्छा नहीं रहा, इसे हम सभी जानते हैं। कोरोना ने लोगों का जीना दूभर कर दिया था। खैर, इन दिनों फिर से लौटने के आसार लग रहे हैं। मैंने २०२२ में कुल ६ फिल्मों की शूटिंग की। मेरे लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था, इतनी सारे फिल्मों को एक साथ शूट करना।

• फिल्म ‘भीड़’ के बारे में कुछ बताएंगी?
फिल्म में मेरे साथ राजकुमार राव, आशुतोष राणा, दीया मिर्जा, पंकज कपूर जैसे दिग्गज कलाकार हैं। ‘भीड़’ की कहानी ही २०२० के कोरोना काल को दर्शाती है। उन दिनों के कई कॉम्प्लेक्स इशूज रहे हैं। फिल्म ‘भीड़’ कुछ सच्ची घटनाओं का कोलाज है। इस फिल्म को बहुत सच्चाई से पेश किया गया है।

• किन कलाकारों के साथ फिल्म करना मजेदार रहा?
अर्जुन कपूर और राजकुमार राव के साथ काम करना एक बेहद दिलचस्प अनुभव रहा है। इन दोनों से मेरी दोस्ती ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन अच्छी है। अर्जुन मेरा वेलविशर भी है। फिल्म ‘बधाई दो’ में काम करना हमेशा एक यादगार अनुभव रहेगा क्योंकि इस फिल्म में राजकुमार जो हैं। वे अच्छे एक्टर हैं, यह हम सभी जानते हैं लेकिन वो एक निहायत अच्छे इंसान भी हैं।

•अपने करियर में क्या आपने खुद से संबंधित कोई अफवाह सुनी है?
यह हकीकत है कि अक्सर हमारे पीठ पीछे अफवाहें सुनने को मिलती हैं। लेकिन न जाने क्यों मैंने यह हमेशा सुना है कि मैं और मेरी बहन समीक्षा जुड़वां बहनें हैं। यह अफवाह कब, किसने और वैâसे उड़ाई मुझे समझ में नहीं आता। मेरी छोटी बहन समीक्षा एडवोकेट है, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है और मुझसे चार साल छोटी है। हम दोनों जुड़वां नहीं हैं। खैर, मैं किस-किस को यह सच बताती फिरूं?
• आपकी फिल्म ‘अफवाह’ की भी खूब चर्चा हो रही है?
फिल्म ‘अफवाह’ के निर्देशक सुधीर मिश्रा हैं। उनके निर्देशन में काम करने का मौका मैं भला वैâसे छोड़ती? उनकी फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ २००५ में रिलीज हुई थी। १८ वर्ष बाद भी मुझे इस फिल्म का एक-एक सीन याद है। हालांकि, उस समय मेरी उम्र १२-१३ वर्ष रही होगी। उनकी सबसे बड़ी खूबी ये है कि वे अपनी फिल्मों में महिलाओं के किरदार बेहद खूबसूरती और नजाकत से लिखते हैं। मैं उनकी फैन हूं।
• अपने करियर से आप कितनी संतुष्ट हैं?
‘यशराज फिल्म्स’ जैसे देश के बड़े बैनर में मैं कास्टिंग डिपार्टमेंट में काम करती थी और अपने इस काम से मैं बेहद खुश थी। कभी कास्टिंग के बाहर सोचा ही नहीं लेकिन पता नहीं कैसे कास्टिंग करते-करते फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ में मेरी खुद की कास्टिंग हो गई, जो सोचा नहीं था वो हुआ।
• देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था पर आपकी क्या राय है?
माफ कीजिए, छोटा मुंह बड़ी बात। अर्थव्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दे पर गहराई से बात करने के लिए पूरी नॉलेज होनी चाहिए। यह काम मेरा नहीं, एक्सपर्ट का है।

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