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आज पुरुष लाचार हैं…

कल महिलाएं अबला थीं
आज पुरुष लाचार हैं
महिलाओं से ज्यादा
हो रहे अत्याचार हैं
अपनी लाचारी सुनाने का भी
उनको नहीं अधिकार है
कोर्ट कचहरी पुलिस दारोगा
चक्कर लगाना बेकार है
न कोई नियम न कानून है
अच्छा करें या बुरा
सिर्फ हम ही गुनहगार हैं
जरा सी बात पर
थप्पड़ खाने को भी तैयार हैं
क्या करें साहब
कल महिलाएं अबला थीं
आज पुरुष लाचार हैं…

श्रवण चौधरी

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