सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने बुधवार को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने टोरेस ज्वैलरी स्वैâम के मुख्य आरोपी यूक्रेनी नागरिकों को पकड़ने में पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाए। यह मामला एक सप्ताह से भी अधिक समय पहले ईओडब्ल्यू को सौंपा गया था, लेकिन अब तक इन आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला।
हाई कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि ईओडब्ल्यू शीघ्रता से कार्रवाई करेगा और फरार यूक्रेनी नागरिकों के ठिकानों का पता लगाएगा। यह आपका विशेषाधिकार है। जहां आप अपना काम नहीं करते, वहां हम आते हैं। हम तत्परता की उम्मीद करते हैं। यह एक विशेष एजेंसी है।’ चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और नीला गोखले की पीठ ने कहा। अभिषेक गुप्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी, जिसके कारण उनके जीवन को खतरा था। अदालत ने मुंबई पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि गुप्ता को सुरक्षा प्रदान की जाए, जब तक उनकी सुरक्षा संबंधी याचिका पर निर्णय नहीं लिया जाता।
धोखाधड़ी का मामला
टोरेस ज्वैलरी चेन ने करीब १.२५ लाख लोगों को ठगा, निवेशकों को ६ फीसदी साप्ताहिक रिटर्न का लालच देकर उन्हें लैब-ग्रोवन अमेरिकी हीरे में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद यह चेन मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में भी लिप्त पाई गई। पुलिस के मुताबिक, मामले में दो विदेशी नागरिक ज्यादातर यूक्रेनी अभी भी फरार हैं। कोर्ट ने ईओडब्ल्यू से पूछा, ‘आपने इन्हें क्यों नहीं पकड़ा? आपने कौन से कदम उठाए हैं? क्या आप इमिग्रेशन सिस्टम के जरिए पासपोर्ट नंबर डालकर यह जांच नहीं कर सकते कि वे बाहर गए हैं या नहीं?’ ईओडब्ल्यू के अधिकारी ने बताया कि आरोपियों को देश छोड़ने से रोकने के लिए नोटिस जारी किए गए थे। हालांकि, कोर्ट ने कहा, ‘जब वे देश छोड़ चुके हैं तो नोटिस जारी करने का क्या मतलब है? यदि आपने एलओसी जारी किया है, तो अगला कदम क्या है?’ कोर्ट ने यह भी पूछा, ‘क्या आपने कार्यालय और शोरूम के कैमरे की फुटेज जब्त की? क्या आपने उन होटलों की फुटेज जब्त की है, जहां आरोपी लोग रुके थे?’