सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में पिछले १८ दिनों से वाहन फिटनेस प्रमाणन प्रक्रिया ठप होने के कारण राज्यभर के परिवहनकर्ता गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। आरटीओ द्वारा फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी न किए जाने से हजारों वाहन विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं, जिससे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इस स्थिति ने न सिर्फ ट्रांसपोर्टर्स कम्युनिटी को वित्तीय नुकसान पहुंचाया है, बल्कि पूरी आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है।
फिटनेस प्रमाणन में अड़चन
राज्य के विभिन्न आरटीओ द्वारा पिछले १८ दिनों से वाहन फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी नहीं किए जा रहे हैं, जिससे वाहनों का परिचालन ठप हो गया है। यह स्थिति ट्रांसपोर्टर्स के लिए एक बड़ी परेशानी बन गई है, जो न केवल उनके व्यवसाय को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनकी जीविका पर भी संकट खड़ा कर रही है।
स्पीड लिमिटिंग डिवाइस (एसएलडी) नवीनीकरण की समस्या आ रही है। जिन वाहनों में पहले से एसएलडी लगाए गए थे, उन्हें अब नए उपकरणों के साथ नवीनीकृत करने की आवश्यकता है। इस प्रक्रिया में बदलाव के कारण भी वाहन मालिकों को अनावश्यक देरी का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी-फिटेड ईसीयू के साथ तकनीकी समस्याएं कई वाहनों में कंपनी द्वारा फिट किए गए इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ईसीयू) के बावजूद उन्हें फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। नए सिस्टम में ऐसे वाहनों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिससे हजारों वाहन सड़कों पर फंसे हुए हैं। इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बल मलकीत सिंह ने महाराष्ट्र के परिवहन आयुक्त को तत्काल अपील भेजी है। उन्होंने इस तकनीकी समस्या को शीघ्र हल करने और फिटनेस प्रमाणन प्रक्रिया को बहाल करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो परिवहन उद्योग को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा और राज्य की आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह चरमरा जाएगी। ट्रांसपोर्टर्स मांग कर रहे हैं कि तकनीकी विसंगतियों का तुरंत समधान किया जाए और फिटनेस प्रमाण-पत्र निर्बाध रूप से जारी किए जाएं।