-बिना जांचें मिल जाता है प्रमाणपत्र
-जांच मुहिम से हुआ खुलासा
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य परिवहन विभाग (आरटीओ) की प्रदूषण जांच (पीयूसी) मुहिम में फिर एक बार बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का चेहरा सामने आया है। पिछले ११ महीनों में ९७,२८३ वाहनों की जांच के दौरान १३,४२० वाहन प्रदूषण मानकों का उल्लंघन करते हुए पाए गए। इसके बावजूद समस्या के मूल कारणों पर ध्यान देने के बजाय बिना जांचे ही प्रमाण पत्र दे दिया जाता है। एक जांच मुहीम से इस बात का खुलासा हुआ है। इसके अलावा ९३ लाख ३५ हजार रुपए की भारी राशि जुर्माने के रूप में एकत्रित की गई है।
मुंबई और आस-पास के क्षेत्रों, जिनमें ठाणे, कल्याण, पेण और पनवेल जैसे शहर शामिल हैं, जो इन जांचों का केंद्र बन हुए हैं, लेकिन यह कार्रवाई कई सवाल खड़ा करती है कि क्या वास्तव में यह प्रयास बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने में कारगर हो रहा है या फिर यह सिर्फ राजस्व वसूली का जरिया बनकर रह गया है? विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रदूषण के स्रोतों पर सख्ती से कार्रवाई की जाती और पीयूसी प्रमाण-पत्र के प्रामाणिकता को सुनिश्चित किया जाता, तो यह समस्या इतनी गंभीर रूप में नहीं उभरती। आरटीओ द्वारा जारी किया गया यह जुर्माना प्रदूषण की वास्तविक स्थिति पर नियंत्रण पाने में कितना कारगर है, इस पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।
आरटीओ की जांच में सामने आए आंकड़े
-मुंबई सेंट्रल में ४,७०६ में से केवल २४९ दोषी वाहन पकड़े गए और उन पर १,६७,५०० रुपए का जुर्माना लगा।
-ठाणे में १२,२९६ वाहनों की जांच में २,९८४ वाहन दोषी पाए गए, लेकिन जुर्माने की राशि २,८४,१०,००० तक पहुंच गई, जो आश्चर्यजनक है।
-पनवेल में ३२,४३३ वाहनों में से केवल १,७५३ को दोषी पाया गया और इनसे २१,७७,९१६ रुपए की वसूली की गई।