सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में दिल के रोगियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इसके इलाज के लिए २३१ करोड़ रुपए की लागत से १९ कार्डियक वैâथ लैब खरीदने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, योजना को लेकर शुरू टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है। आगामी छह महीने में कार्डियक वैâथ लैब राज्य स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अस्पतालों में चालू हो जाएंगे। खास बात यह है कि यहां होनेवाली एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए मरीज को एक रुपए का भी भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
ज्ञात हो कि पिछले एक दशक में हृदय रोग के कारण मरनेवाले या विकलांग होनेवाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। साल २०२० की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में दिल से जुड़ी बीमारियों से ७.४६ फीसदी लोगों की मौत होती है। जबकि महाराष्ट्र में यह मृत्यु दर १३.९ फीसदी है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में स्टेमी योजना शुरू किया। यह दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले आधे घंटे के भीतर दवा उपलब्ध कराकर मृत्यु दर को कम करने को प्राथमिकता देता है। साथ ही हृदय रोग के बारे में जन जागरूकता और तीव्र हृदय रोग के लक्षणों को पहचानकर उपचार को प्राथमिकता दी जाती है। जानकारी के मुताबिक, राज्य में स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित किसी भी अस्पताल में हृदय रोग के इलाज के लिए कार्डियक वैâथ लैब नहीं है। ऐसी स्थिति में दिल के रोगियो को एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए निजी अस्पतालों के साथ ही सरकारी और मनपा के मेडिकल कॉलेजों से संबंधित अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है। निजी अस्पतालों में इस समय एंजियोग्राफी के लिए १५ से २० हजार रुपए, जबकि एंजियोप्लास्टी के लिए ढाई लाख रुपए का खर्च आता है। मरीजों की इन दिक्कतों को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अस्पतालों में वैâथ लैब शुरू करने योजना को तेज कर दिया है।