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आदिवासियों और मछुआरों ने ट्रिपल इंजन सरकार की कंधे पर अर्थी रखकर निकाली अंतिम यात्रा

-ट्रिपल इंजन सरकार का मछुआरों व आदिवासियों ने किया राम नाम सत्य।

-जान दे देंगे, लेकिन विनाशकारी वाढवन बंदरगाह परियोजना की शुरुवात नहीं होने देंगे

-सरकार और जेएनपीए का पुतला फूंक कर किया अंतिम संस्कार

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर

पालघर के वाढवण में प्रस्तावित मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट बंदरगाह परियोजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद किसानों, मछुआरों, भूमिपुत्रों के विरोध की आग और भड़क गई है। विनाशकारी बंदरगाह परियोजना को रद्द न किए जाने को लेकर मछुआरों, आदिवासियों का रोष बढ़ता जा रहा है। इसके तहत आदिवासी और मछुआरे हर दिन नए-नए तरीकों से केंद्र, और राज्य सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त कर रहे हैं। इसी कड़ी के तहत शुक्रवार को तीन दिन से जारी अनशन के बाद वाढवण बंदरगाह विरोधी संघर्ष समिति, भूमि सेना और वाढ़वन बंदरगाह विरोधी युवा संघर्ष समिति सहित 20 संगठनों ने पालघर में
केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जेएनपीए के खिलाफ नारेबाजी की और ट्रिपल इंजन सरकार और जेएनपीटी की अर्थी सजाकर पूरी रीति-रिवाज के साथ उसे कंधे पर उठाकर अंतिम यात्रा निकाली। अंतिम यात्रा निकालने के बाद पुतले ले जाकर अर्थी फूंकी गई। अंतिम यात्रा में मछुआरे आदिवासी और बुजुर्ग बड़ी संख्या में शामिल हुए। मछुआरों का कहना है कि बंदरगाह बनने से मछुआरों का रोजगार चौपट हो जाएगा और मछली पकड़ने का उनका पारंपरिक व्यवसाय खत्म हो जाएगा, जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। मछुआरे और आदिवासी लगातार बंदरगाह परियोजना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। मछुआरों के गांवों के अब यही नारे गूंज रहे हैं, जो हमसे टकराएगा मिट्टी में मिल जाएगा। विनाशकारी बंदरगाह वापस जाओ
मछुआरों का कहना है कि वाढवण बंदरगाह का विरोध राज्य के विकास या प्रगति का विरोध है, ये बिलकुल झूठ है। मछुआरों का कहना है कि विनाशकारी परियोजना जबरन हम पर थोपी जा रही है। प्रदर्शकारी स्वप्नील तरे ने कहा कि मछुआरों और आदिवासियों ने अब प्रण कर लिया है कि जान भी चली गई, तो भी विनाशकारी परियोजना की शुरुवात नहीं होने देंगे।

तीन दिन से जारी अनशन का सरकार न ही अधिकारियों ने कोई संज्ञान नहीं लिया। सरकार का अंतिम संस्कार करके बंदरगाह का विरोध जताया गया है। सरकार ने बंदरगाह परियोजना रद्द नहीं की तो आगे और बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
नारायण पाटील, अध्यक्ष वाढ़वन बंदरगाह विरोधी संघर्ष समिति

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