मुख्यपृष्ठनमस्ते सामना शहीदों को समर्पित आदरांजलि 

 शहीदों को समर्पित आदरांजलि 

ये  वीर  जवान  जो शहीद’  हुए
‘शहादत से मुलाकात’ कर गए,
वतन  पे  मिटने वाले ‘इबादत’ की बात कर गए.

सुनी-अनसुनी वक्त के मंच पर एक ‘कथा है शहादत’
वतन के लिए जीना, वतन के लिए मरना
इससे  ज्यादा  क्या  होगी  ‘इबादत!’

“शहीद की शहादत “है ज़िंदगी देश-कौम की
बाज़ी लगाने जान की ये पीछे हटते नहीं।

बाल न भस्म कर सकी, दुश्मनों की आग
हमारे वतन का कवच, हमारे ‘शहीदों का त्याग’।

लहू से एक दीया, रातभर जलाना है
मगर  ‘शर्त’  ये कड़ी  है के ‘मुस्कुराना’ है।

वतन से बिछड़ते हुए, जवान ने  ‘तिरंगे’  को सलामी  देते हुए कहा,  “माना कि हम कम जिये, मगर जितना भी जिये “वतन की आन बान शान” के लिए जिये।

मुश्किल में भाग जाना  आसान होता है
हर पल ज़िंदगी का इम्तहान होता है
डरने वालों को हासिल कुछ नहीं होता
लड़नेवालों के कदमों तले जहां होता है।

यूं तो ज़िंदगी में कई ‘हमसफर’ मिले
काश! मुझे ‘भगत सिंह’ मिल गया होता,
काश! मुझे ‘नेताजी सुभाषचद्र बोस ‘मिल गया होता
काश! मूंदे ‘वीर सावरकर’ मिल गया होता
तो अपना भी नाम शहीदों की फहरिस्त में दर्ज होता।

देश से बड़ा प्रांत, कोई हो नहीं सकता
मानवता से खरा सिद्धांत कोई हो नहीं सकता
नाम नाम पूछकर घृणा करने वाला
जात पात पूछकर नफरत करने वाला
हैवान, शैतान होगा, वो इन्सान नहीं हो सकता।

ये धरती हम सबकी, अपना प्यारा वतन है
हम फूल की हैं डालियां, ये अपना चमन है
फूल तो है फूल, पत्ता भी न देंगे,
वतन के रखवाले हम, जान लुटा देंगे।
…..जय हिंद *  वन्दे मातरम्….

त्रिलोचन सिंह आरोरा

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