घर घर आज तिरंगा फहरा ।
हम भीअब फहराएँगे।।
सामाजिक समरसता लाकर ।
भारत नया बनाएँगे ।।
अर्थ तंत्र मजबूत बनाकर।
दुनिया को दिखलाएँगे।।
सपनों को साकार करेंगे।
मानवता हम लाएँगे।।
झोपड़ियों को महल बनाकर।
शांति गीत हम गाएँगे।।
खेतों में हरियाली लाकर।
खुशियों को फैलाएँगे।।
पर्वत झरना नदियों को भी।
सदा देखने जाएँगे ।।
अंधेरों को दूर भगाकर।
नया सवेरा लाएँगे।।
शासन और प्रशासन को भी।
सेवाभाव सिखाएँगे
।।
प्रेम परस्पर भाईचारा।
जीवन में ले आएँगे ।।
मानवता के बीजमंत्र को।
भारत में फैलाएँगे।।
अबकी बार तिरंगा लेकर।
जंग जीतने जाएँगे।।
वहीं तिरंगा मार्च करेंगे।
पूरा देश जगाएँगे।।
भारत माँ के श्री चरणों में।
हरदम शीश झुकाएँगे।।
वतनपरस्ती वतनपरस्ती।
वतनपरस्ती गाएँगे।।
भारत में आजादी लाकर।
उसका मान बढ़ाएँगे।।