४ महीने में सामने आए ५० मामले
निशाने पर हैं छात्र और नौकरी पेशा लोग
एजेंसी / बीजिंग
हिंदुस्थान के बाजार में अपने कबाड़ बेचकर चीन अपनी आर्थिक स्थिति लगातार मजबूत कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद हिंदुस्थान के खिलाफ ड्रैगन की खुराफातें कम नहीं हो रही हैं। एलएसी पर ड्रैगन के साथ चरम पर पहुंची कडवाहट का असर अब चीन की जनता में देखने को मिल रहा है। चीन के लोग अब वहां शिक्षा, व्यवसाय अथवा रोजगार के सिलसिले में गए हिंदुस्थानी नागरिकों पर हिंसक हमले करने में भी नहीं हिचकिचा रहे हैं। बीते ४ महीने में करीब ५० ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें हिंदुस्थानी नागरिकों को चीनियों की नफरत का शिकार होना पड़ा है।
बता दें कि २२ अक्टूबर, २०२२ को चीन के ग्वांगझू शहर की मेट्रो ट्रेन में भीड़ थी, इसलिए लोग खड़े होकर सफर कर रहे थे। इसी बीच कुछ पैसेंजर्स में बहस होने लगी। देखते-देखते माहौल गर्म हो गया और ट्रेन में मौजूद भीड़ दो लड़कों को पीटने लगी। ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचते ही भीड़ ने दोनों लड़कों को ट्रेन से बाहर धकेल दिया। इसके बाद वहां प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोग भी उन लड़कों को बिना कुछ पूछे पीटने लगे जबकि पास में खड़े मेट्रो स्टेशन के गार्ड ने हमलावरों को रोका नहीं। चीनी सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हुआ। पीट रहे लोग चीनी थे और पिट रहे दोनों लड़के भारतीय। कहासुनी क्यों हुई, मारने वालों पर क्या कार्रवाई हुई, पिटने वाले दोनों लड़कों का क्या हुआ, कुछ नहीं पता, जबकि हमलों का सिलसिला लगातार जारी है। चीन में पढ़ाई और व्यवसाय के सिलसिले में रह रहे लोग इन दिनों डरे हुए हैं। चीनी मीडिया भारतीयों पर हो रहे ऐसे हमलों से जुड़े केसों को लगातार दबा रही है, पुलिस भी इन्हें सामने नहीं आने देती है। सूत्रों के मुताबिक चीन में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारी भी मानते हैं कि डोकलाम के बाद से चीन में भारतीयों पर हमले बढ़े हैं। यहां तक कि भारतीय दूतावास ने इन हमलों के आंकड़ों को इकट्ठा करना भी शुरू किया है और एक रिपोर्ट तैयार की है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक एकेडमिक ईयर की शुरुआत यानी सितंबर के बाद से चीन में भारतीय छात्रों पर हमले और डकैती के ५० से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। ये हमले चीन के अलग-अलग शहरों में हुए हैं। ज्यादातर केस बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझू में रिपोर्ट किए गए हैं। निशाने पर स्टूडेंट या नौकरीपेशा यंग लोग हैं। उन पर कॉलेज या ऑफिस से घर लौटते वक्त हमला किया गया, कई लोगों को मार्वेâट में निशाना बनाया गया। हैरानी की बात ये है कि भारतीय दूतावास भी इन हमलों को नस्लीय हमले नहीं मान रहा है।
पाकिस्तानी-बांग्लादेशी स्टूडेंट्स भी हुए शिकार
चीन में सिर्फ हिंदुस्थानी ही नहीं, बल्कि पाकिस्तानी और बांग्लादेशी स्टूडेंट्स के साथ भी बुरा बर्ताव हो रहा है। इनमें से ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई करने चीन आते हैं। कुछ महीने पहले ही शान्शी प्रांत के यांग्लिंग में नॉर्थ-वेस्ट एग्रीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के साउथ वैंâपस में एक चीनी स्टूडेंट ने बांग्लादेशी स्टूडेंट को चाकू मार दिया था। इसी तरह नानजिंग यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक पाकिस्तानी लड़के को बीते साल चाकू मार दिया गया था। उसकी एक चीनी लड़की से दोस्ती थी। वह उसके साथ सड़क पर वैâब का इंतजार कर रहा था। तभी एक शख्स उसे चाकू मारकर भाग गया। ऐसा ही एक मामला शेनजांग में भी सामने आया था। यहां एक पाकिस्तानी स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया था। बाद में पता चला कि जिस अपार्टमेंट में वह रहता था, वहां के लोग उससे मारपीट करने के साथ उसे धमकी देते थे। इससे वह परेशान रहने लगा और अंतत: उसने खुदकुशी कर ली। हालांकि, इस तरह की खबरें चीनी मीडिया उजागर नहीं करती।