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बदले-बदले से ट्रंप

ट्रंप राष्ट्रपति बनते ही इस बार अलग रुख में नजर आ रहे हैं। पिछली बार की राजनीति से इस बार बहुत भिन्न हैं चूंकि पद संभालते ही कई बड़े निर्णय ले रहे हैं। बीती 31 जनवरी को ट्रंप ने कहा है कि ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों ने अंतरराष्ट्रीय कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल छोड़ा तो अमेरिका उनके खिलाफ सौ फीसदी टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर चेतावनी दी है कि अगर ब्रिक्स देशों ने डॉलर के मुक़ाबले कोई नई ब्रिक्स करेंसी विकसित की तो अमेरिका चुपचाप बैठा नहीं रहेगा। यदि भारत के परिवेश में बात करें तो ट्रंप ने हमारे देश को सभी क्षेत्र में सम्मान देते हुए एक अलग स्थान दिया था जिससे दुनियाभर में ट्रंप व मोदी की दोस्ती की चर्चा भी हुई थी लेकिन इस बार ट्रंप की शैली बिल्कुल विपरीत सी नजर आ रही है। जैसा कि ब्रिक्स में भारत की भूमिका बहुत अहम है और भारत इस संगठन में शुरुआत से ही सक्रिय रूप से शामिल रहा है। भारत ने 2012, 2016, और 2021 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की है और 2021 मे जब ट्रंप की सरकार थी और भारत के लिए मानो रेड कारपेट बिछा दिया हो।

ज्ञात हो कि इस घटनाक्रम में ब्रिक्स में शामिल अन्य देश भी असहजता महसूस करने लगे थे लेकिन ट्रंप इस बार भारत के साथ भी अन्य देशों जैसा व्यवहार कर रहा है अर्थात किसी भी क्षेत्र में कहीं भी दोस्ती की बात नहीं की जा रही। इस बात को लेकर मोदी की प्रतिक्रिया तो नहीं आ रही, लेकिन वह कुंठित जरूर महसूस कर रहे होंगे। इसके अलावा भारत को देश से दस शक्तिशाली देशों की सूची से भी बाहर आ गया जिसको लेकर विश्व पटल पर चर्चा हो रही है। फोर्ब्स ने 2025 में दुनिया की 10 सबसे शक्तिशाली देशों की रैंकिंग जारी की है, जिसमें भारत को टॉप 10 से बाहर रखा गया है। यह सूची कई महत्वपूर्ण पैमानों पर आधारित है लेकिन भारत जैसी विशाल जनसंख्या, चौथी सबसे बड़ी सेना और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश को बाहर रखने से हर कोई आश्चर्यचकित है। फोर्ब्स ने बताया कि यह सूची यूएस न्यूज की तरफ से तैयार की गई है और रैंकिंग के लिए पांच मुख्य पैमानों का उपयोग किया गया है। इस सूची को किसी भी देश में उसके नेता, आर्थिक प्रभाव, राजनीतिक प्रभाव, मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधन और मजबूत सेना के आधार पर तैयार किया जाता है। इस पैमाने के हिसाब हमारे देश को कहीं भी मजबूत नहीं माना जा रहा जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं विशेषज्ञ का मानना है कि इस सूची में जिन देशों को लिया जाता है उसमें अमेरिका का बड़ा हस्तक्षेप माना जाता है। अब समझना यह होगा कि ट्रंप ने अपने पहले कालखंड में भारत से जितनी दोस्ती निभाई अब शायद उससे ज्यादा दुश्मनी निभा रहा है। अब समझना यह होगा कि आखिर ट्रंप व मोदी के बीच क्या चल रहा है जिससे हर रोज भारत को झटका दिया जा रहा है। इस तरह की चीजें से भारत को झटका लगना बहुत कुछ समझने व सोचने पर मजबूर कर देता है।

योगेश कुमार सोनी
वरिष्ठ पत्रकार

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