सच्चाई जीवन की

जिस दिन तुम्हारे नाम को
अपने नाम से जोड़ा है
उसी दिन से वास्तव में मैंने
जीवन जीना आरंभ किया है।
सुना है रिश्ते ऊपर वाला
आसमां में बनाता है
सच्चाई में धरा पर
ही परिलक्षित होते हैं।
हाथ की आरसी की तरह
सत्यता सामने आए
कूप के ठंडे मीठे जल सी तृप्ति
एक बार मिल जाए।
मुक्ता से दो अश्रु गिरे नयनों से
अतः मन की शुचिता दिखा जाएं।
प्रयास और प्यास आसमां की
ऊंचाई तक पहुंचा देते हैं
अगर माता-पिता के आशीर्वादों की
ठंडक का अहसास याद रहे।
गीली मिट्टी की सोंधी महक
बचपन की याद ले आती है
पीड़ा यह है कि जवानी अब
दाल रोटी कमाने में बीत जाती है।
एक बोझ मै ढोता रहा जिंदगी भर
समझ अब आया मेरा अहं
ही मुझ पर सवार था।
-बेला विरदी

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