सामना संवाददाता / मुंबई
बालासोर में इसी साल २ जून को तीन ट्रेनों की टक्कर के बाद रेलवे की स्वचालित सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ की काफी चर्चा हुई थी। ऐसा दावा किया गया था कि रूट पर और ट्रेनों में ‘कवच’ तो सैकड़ों लोगों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ी होती। अब उसी कवच को लेकर वेंâद्र सरकार की उदासीनता की पोल खोलनेवाली खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली वेंâद्र सरकार बीते ९ वर्षों में सभी रूटों में से सिर्पâ १ फीसदी रेलमार्गों पर ही कवच प्रणाली उपलब्ध हो पाई है। अर्थात ९९ज्ञ् रेलमार्ग अभी भी खतरे के साए में हैं। कहने को तो कागजों पर मोदी सरकार के रेलवे मंत्रालय ने ३६,५४५ किमी तक रेलमार्गों को कवच सुरक्षा उपलब्ध कराने को मंजूरी दी है, लेकिन हकीकत में इसके ४ फीसदी यानी १,४६५ किमी रेलमार्गों को ही कवच मिल सका है।
बता दें कि देश में लगभग ६८ हजार किमी लंबे रेलमार्गों में ९९ प्रतिशत मार्गों पर हादसों का खतरा हमेशा मंडराता है। पूरे देश में अब तक महज १,४६५ किमी मार्गों पर स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (एटीपीएस) कवच, स्थापित की जा सकी है। अमरावती के आरटीआई कार्यकर्ता अजय बोस द्वारा मांगी गई जानकारी से पता चलता है कि कवच के तहत कवर किया गया १,४६५ किमी दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) में पैâला हुआ है, जिसका मुख्यालय सिकंदराबाद में है।
कवच को भारतीय रेलवे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) ने भारतीय उद्योग के सहयोग से विकसित किया है। गौरतलब हो कि बालासोर ट्रेन त्रासदी की पृष्ठभूमि में मांगी गई थी, जिसमें २८८ यात्रियों की मौत हो गई थी और १,००० से अधिक घायल हुए थे। जानकारी से पता चला कि ३६,५४५ किमी मार्गों पर कवच कार्यों को मंजूरी दी गई है। ‘अब तक भारतीय रेलवे ने कवच स्थापित करने पर ३५२ करोड़ रुपए खर्च किए हैं और २०२३-२४ के लिए ७१० करोड़ रुपए से अधिक निर्धारित किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि भारतीय रेलवे ने ११ मार्गों की पहचान की है, जहां देश में स्वदेशी रूप से विकसित कवच स्थापित किए जाएंगे। चालू वित्त वर्ष २०२२-२३ के दौरान रेलवे का लक्ष्य २,००० किलोमीटर रेलमार्ग नेटवर्वâ पर कवच स्थापित करने का है। ‘मुंबई-हावड़ा-नागपुर-झारसुगुड़ा खंड इसका हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई खंडों के लिए कवच रोलआउट की योजना बनाई गई है, जिसे मार्च २०२४ तक पूरा करने का लक्ष्य है।
मुंबई के सेंट्रल लाइन पर कर्मी ने गंवाई जान
सहायक सिग्नल मेंटेनर के रूप में पिछले महीने ही सेवा में शामिल हुए रेलवे कर्मचारी सर्वेश कुमार की दो दिन पहले सिंग्नल मेंटेनेंस करने के दौरान एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। साथ में मौजूद उमेश सिंह घायल हो गए, यूनियन के अनुसार वे सिग्नल मेंटेनेंस में व्यस्त थे, यह घटना उमरमाली से कसारा डाउन सेक्शन के बीच लगभग ८ बजे रात की हैं।