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फिल्म से राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश!…झूठ की रोशनी में विधानसभा चुनाव से पहले चमकना चाहते हैं घाती…संजय राऊत ने गद्दारों पर साधा निशाना

सामना संवाददाता / मुंबई

पहले पार्ट में धर्मवीर आनंद दिघे के महानिर्वाण को दिखाया है। महानिर्वाण के बाद अब दूसरा पार्ट कैसे आ सकता है? लेकिन विधानसभा चुनाव मुहाने पर है, इसलिए झूठ की रोशनी में घातियों को अपनी बेईमानी से थोड़े बहुत तारों को चमकाना है। इसीलिए आनंद दिघे जैसे महान, निष्ठावान शिवसेना नेताओं का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन फिल्म के माध्यम से राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश कर रहे हो, तो भविष्य में आपको भी उस आग के चटके को सहन करना पड़ेगा। इस तरह का जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया है।
मीडिया से बात करते हुए संजय राऊत ने कहा कि आनंद दिघे को मैं नजदीक से पहचानता था, जो अब उन पर मालिकाना अधिकार की तरह व्यवहार कर रहे हैं, घूम रहे हैं, फिल्में बना रहे हैं, उनके मन में आनंद दिघे के प्रति क्या भावनाएं थीं, क्या राय थी ये हमें पता है। यदि हमने उन पर फिल्में बनाई तो मुंह छिपाते हुए घूमना पड़ेगा। इस तरह की चेतावनी भी उन्होंने दी। उन्होंने आगे कहा कि आज गुरुपूर्णिमा है और हिंदूहृदयसम्राट, शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने कहा था कि सत्य बोलिए और ईमानदारी से जीवन बिताइए। बेईमान लोग आनंद दिघे को गुरु मानकर उनका झूठा चित्र खड़ा कर रहे होंगे तो यह आनंद दिघे और उनके गुरु हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का भी अपमान है। संजय राऊत ने कहा कि आनंद दिघे के संपूर्ण कालखंड को हमने देखा है। आनंद दिघे ने जिस हिंदुत्व को स्वीकारा था वह हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का ही हिंदुत्व था और हमने भी वही स्वीकार किया। ठाणे के टेंभी नाका में उनका हिंदुत्व अलग और हमारा हिंदुत्व अलग ऐसा कुछ नहीं था। आज हिंदुत्व के अलग-अलग चूल्हे जल रहे हैं। उसे आनंद दिघे ने नहीं माना होता। फिल्में वगैरह सब फर्जी हैं, झूठ हैं और अपने झूठ पर पर्दा डालने के लिए पहले भी ऐसी फिल्में बनती रही हैं। ‘कश्मीर फाइल्स’, ‘ताशकंद फाइल्स’ इसके जीते जागते उदाहरण हैं। भाजपा के लोगों ने इस तरह की कई फिल्में बनाई हैं। संजय राऊत ने स्पष्ट विचार व्यक्त किया कि मीडिया का इस्तेमाल घोटाला करने और अपने झूठे पर सच्चाई का आवरण डालने के लिए किया गया और यह पूरी तरह से गलत है।
कुछ सड़े आम निकले
जीवन में एक गुरु होना चाहिए, जो आपकी उंगली पकड़कर आगे ले जाएगा। ज्ञान, चालाकी, स्वाभिमान, निष्ठा, ईमानदारी को लेकर उचित मार्गदर्शन करेगा। वह न केवल लोगों का मार्गदर्शन करेगा, बल्कि उनकी रक्षा और विकास भी करेगा। शिवसेनाप्रमुख ने वही किया इसीलिए आज हमारे जैसे लोग एकनिष्ठ आपके सामने खड़े हैं। बालासाहेब महाराष्ट्र और हिंदुत्व के गुरु थे। लेकिन उसमें से कुछ सड़े आम निकले और बाहर चले गए। संजय राऊत ने कहा कि मेरी चुनौती है कि वे बालासाहेब की तस्वीर गुरु के रूप में लगाएंगे। तो यह उन महान गुरु का अपमान होगा।
महाविकास आघाड़ी की ही आएगी सरकार
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाजपा सम्मेलन के लिए पुणे आ रहे हैं। इस पर संजय राऊत ने भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वे देश के गृह मंत्री हैं। जम्मू-कश्मीर में आए दिन जवान शहीद हो रहे हैं। नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। मणिपुर अभी भी जल रहा है। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। ऐसे में यह अच्छी तस्वीर नहीं है कि देश के गृह मंत्री राजनीतिक कारणों से आए दिन पार्टी मंडप में बैठे रहते हैं। यदि महाराष्ट्र की बजाय मणिपुर और जम्मू-कश्मीर पर राजनीतिक ध्यान केंद्रित किया जाए, तो गृह मंत्री का पद सार्थक होगा। राज्य में चुनावों में दबाव बनाने के लिए गृह मंत्री पद का उपयोग करने के बजाय, चरमपंथियों पर दबाव बनाएं और उन्हें खत्म करें। चाहे गृह मंत्री यहां आएं और बैठें, चाहे प्रधानमंत्री बैठक करें, चाहे ट्रम्प या पुतिन को बुलाएं, लेकिन इस राज्य में आने वाले विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी की सरकार आएगी। ऐसा दृढ़ विश्वास संजय राऊत ने व्यक्त किया।
यही हमारी गुरुदक्षिणा, गुरुवंदना
बालासाहेब ने महाराष्ट्र का निर्माण किया, लाखों निष्ठावानों की फौज खड़ी की। उनके मन में स्वाभिमान की ज्योति जलती रहती थी। निष्ठा की मशाल हाथ में दी। वे आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन आज भी हम उस मशाल को जलाए रखें, यही हमारी उनके लिए गुरु दक्षिणा और गुरुवंदना है। यह भी संजय राऊत ने बालासाहेब का वंदन करते हुए कहा।

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