मुख्यपृष्ठधर्म विशेषशिव का सबसे बड़ा प्रमाण है तुंगनाथ मंदिर!

शिव का सबसे बड़ा प्रमाण है तुंगनाथ मंदिर!

योगेश कुमार सोनी

जब से इस दुनिया का निर्माण हुआ, तब से भगवान शिव के होने का प्रमाण मिलता रहा है। हर बार इस बात का प्रमाण मिला है। उत्तराखंड के तुंगनाथ मंदिर के निर्माण होने के पूरा घटनाक्रम से दुनिया में शिव गूंज सुनाई दी थी। यह दुनिया के सबसे प्रभावशाली मंदिरों में से एक है। उत्तराखंड में भगवान शिव को समर्पित पांच केदार है और उन्हीं में से तीसरा केदार हैं तुंगनाथ मंदिर। यह पांडव कालीन मंदिर है। इसका निर्माण आज से हजारों वर्षों पूर्व महाभारत के समय में पांडवों के द्वारा किया गया था। तुंगनाथ मंदिर हिमालय की पहाड़ियों पर अलकनंदा व मंदाकिनी नदियों के बीच भगवान शिव का मंदिर है। इतिहास के अनुसार, महाभारत के भीषण युद्ध के बाद पांडवों ने गोत्र व ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव को खुश करने का निर्णय किया था। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव को काशी से लेकर केदारनाथ तक ढूंढा, लेकिन उन्हें कहीं भी शिव के दर्शन नहीं हुए। बताया जाता है कि किसी घटना से भगवान शिव सभी पांडवों से नाराज हो गए थे। इसलिए वे उनसे छुपने के लिए एक बैल का रूप लेकर धरती में समाने लगे लेकिन तभी भीम ने उन्हें देख लिया और बैल को पीछे से पकड़ लिया। तब उस बैल का पीछेवाला भाग वहीं रह गया और बाकी चार भाग चार अन्य जगहों पर निकले, जिन्हें हम पंच केदार के नाम से जानते हैं। जब भीम ने महादेव के बैल रूप को पकड़ा, तब उसकी भुजाएं यहां प्रकट हुई थीं। बैल का पीछे वाला भाग केदारनाथ में रह गया था, जबकि अन्य तीन भाग में मुख रुद्रनाथ में, नाभि मध्यमहेश्वर में तथा जटाएं कल्पेश्वर में प्रकट हुई थीं। इन पांचों स्थानों पर पांडवों के द्वारा भगवान शिव को समर्पित मंदिरों का निर्माण किया गया था व शिवलिंग की स्थापना की गई थी। इससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें पापमुक्त कर दिया था। इस घटना से उस कालखंड के लोगों को यह भगवान शिव के कण-कण में होने का प्रमाण भी मिला था। तुंगनाथ का ट्रेक करके मंदिर के पास पहुंचते ही बड़ा सा अर्ध चंद्राकर बोर्ड दिखाई देता है, जिस पर श्री तुंगनाथ मंदिर लिखा हुआ है, इसके बाद मुख्य मंदिर आता है।
मंदिर का निर्माण बड़े-बड़े पत्थरों से किया गया है, जिसके अंदर काले पत्थर से बना शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान शिव की सवारी नंदी शिवलिंग की ओर मुख किए हुए हैं। मंदिर के अंदर शिवलिंग के आसपास काल भैरव, महर्षि व्यास व अष्टधातु से बनी मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इसके अलावा बाकी चार केदारों व पांडवों की नक्काशियां भी दीवार पर देखने को मिलेंगी।
तुंगनाथ मंदिर के दायीं ओर एक छोटा-सा मंदिर है, जहां भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित है। गणेश मंदिर के दार्इं ओर अन्य छोटे-छोटे पांच मंदिर भी हैं। तुंगनाथ मंदिर के आसपास कई छोटे-छोटे बेहद खूबसूरत भी मंदिर हैं। मुख्य मंदिर के ऊपर एक लकड़ी का चबूतरा बना हुआ है, जो चारों ओर से सोलह खिड़कियों के माध्यम से खुला हुआ है और मंदिर की खूबसूरती को बढ़ाता है। इस चबूतरे के ऊपर मंदिर के शिखर को विशाल पत्थरों की सहायता से ढंका गया है।

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