मुख्यपृष्ठस्तंभउड़न छू : झोलाछाप से बचें

उड़न छू : झोलाछाप से बचें

अजय भट्टाचार्य
कल योग दिवस था और मुझे कल ही याद आया कि योग की दुकान सजाने वाले बाबाजी ने अपने शुरुआती दिनों में कहा था कि नाखून रगड़ लो बाल काले हो जाएंगे। समाज ने नाखूनों को आपस में रगड़-रगड़ कर चिंगारी निकाल दी, उंगलियां झुलस गर्इं, काली पड़ गर्इं, सिर पर बाल लेकिन सफेद ही रहे। आज भी बहुत से सफेद बाल वाले आपको हथेली मोड़े हुए उंगलियों का परस्पर घर्षणयोग करते मिल जाएंगे। फिर उन्हें एक पौधे से एल-ओ-व्ही-ई… वाला लव, प्यार, मोहब्बत, इश्क, विश्क हो गया। अंधा एक तरफा प्यार और बाबाजी ने अपनी उस प्रेमिका के पत्ते जबरदस्ती पूरी दुनिया द्वारा अपनाए जाने की जिद पकड़ ली, गिलोय नाम की उनकी `लीफप्रâेंड’ हमारे जीवन का न चाहते हुए भी अभिन्न अंग बन गई। अब अगले को एड्स, वैंâसर या सर्दी-जुकाम हो, उसको वैद्य विशेष ने गिलोय का नुस्खा चेंप दिया, बदहजमी हुई थी, जहर जैसे गिलोय का जूस पिलाकर उल्टी करवा दी और कह दिया चमत्कार-चमत्कार और नाचने लगे मेरा जूसू-जूसू गिलोय का जूसू-जूसू।
फिर उनको लगा कि इन चरम चंपकों के जीवन में च्यवनप्राश की कमी है, लेट्स गिव देम सम मोर और कलियुगी चरक ने लपककर समय-सारिणी उठाई और उसमें दिखाए सभी आम घास च्यवनप्राश में घुसेड़ दिए। सोना, चांदी, पीतल, एल्युमिनियम, पारा, लोहा, लंगड़ आदि को कूट-पीसकर पेश किया और कहा, इसे खाने से रोग प्रतिरोधी क्षमता अर्थात इम्युनिटी बढ़ती है। लोगों ने खाया और कुछ इस मानव लोक से ही आगे बढ़ गए। बाबाजी बोले, उनका मोक्ष हो गया। इतने से भी जब पेट नहीं भरा तो सोचा मंजन बनाते हैं, उसमें ६४ जड़ी बूटी, ७२ मसाले, लौंग, इलायची, कत्था, चूना, पिपरमेंट, बाबा ३०६ तंबाखू, मीठा पत्ता किमाम तमाम सब ऐसे डाल दिया कि लड़की वाले लड़का देखने आए तो मंजन से रिश्ता पक्का करके चले गए कि सारे गुण तो हैं इसमें…,कई बार तो लोग नाश्ते में दंतकांति ही खा लेते हैं तो पेट भरा-भरा लगता है।
फिर बाबाजी ने बताया कि मैंने योग सिखाया, तो मेरा मतलब यह है कि हम लोग तुम्हारे आने से पहले कितनी गलत सांस ले लेते होंगे, एक यही काम तो है सांस लेना, जो हम लोग स्वत: कर लेते थे, हमको तुमने उसमें भी गलत साबित कर दिया कि नहीं ठीक से नहीं ले रहे हो, मैं तो उस दिन कितना शर्मिंदा हुआ था, जब जाना कि सांस भी नहीं लेकर छोड़ पाया। अब तक सही से, मतलब क्या गलत कर रहे थे हम लोग, पहले छोड़ देते थे हवा फिर खींच रहे थे या ऑक्सीजन छोड़ देते थे कार्बन डाइऑक्साइड खींच लेते थे? क्या मिस्टेक आ कहां रही थी? लेकिन तुमने कही तो हमने मान ली, चलो कोई बात नहीं।
फिर उन्होंने बताया कि मेरी पानी की बोतल में है ज्यादा ऑक्सीजन। मतलब सामान्य एचटूओ में दो एटम रहते थे हायड्रोजेन के। लगता है बाबाजी के पानी का फार्मूला एचटूओटू होगा शायद, काहे से कि ऑक्सीजन ज्यादा थी, तो हमने इस हिसाब से हायड्रोजेन पेरोक्साइड पी लिया, चलो कोई बात नहीं। फिर जोगीराज ने मैगी, ओगी, घी, धतूरा, साबुन, तेल, शेम्पू सब चिपका दिए धीरे से आंख मारते हुए। तब अदालत ने इस झांसेबाजी का संज्ञान लिया और फटकार पर फटकार पड़ी, दंड भी मिलेगा।
जेल में तीन पत्ती खेलनी पड़ जाती, वैâदियों के साथ वहां भी आदतन अपनी चाल आने पर गिलोय का पत्ता टिकाते तो बहुत मार खानी पड़ती। इसलिए बड़े अनमने ढंग से सार्वजनिक माफी मांगकर निकल लिए। कल योग दिवस मना चुके हम सभी को प्रण लेना होगा तथाकथित किसी बाबा-ढाबा या झोलाछाप नीम-हकीम आदि से सेहत के राज नहीं सीखेंगे, अपितु विज्ञान द्वारा बताए सेहत के नुस्खे आजमाएंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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