अजय भट्टाचार्य
केरल के वायनाड में भारी बरसात के कारण हुए भूस्खलन से हुई प्राकृतिक आपदा में करीब तीन सौ लोगों ने जान गवां दी। व्हॉट्सऐप यूनिवर्सिटी ने ज्ञान बांटा कि जहां गाय कटती हो वहां यही होना था। साथ ही उस हथिनी की भी कहानी नत्थी थी, जिसे नारियल में विस्फोटक रखकर मार दिया गया था। इस फेक दंतकथाओं का सार यह कि जहां जिस राज्य में स्वयंभू हिंदू रक्ष यानी भाजपा की सरकार नहीं है, वहां दैवीय प्रकोप के कारण दुर्घटनाएं होती हैं। पिछले दो हफ्ते से गुजरात बाढ़ के कारण त्राहि-त्राहि कर रहा है, मगर भाजपा का भोंपू आईटी सेल मौन है और उनका सबसे बड़ा नेता सिंगापुर में ढोल पीट रहा है। स्पेस टेक्नोलॉजी से बनी सड़कों पर का इतना विकास हुआ कि गड्ढों के कारण लगता है चांद पर सैर कर रहे हों। भले हवाई चप्पल पहनने वाला हवाई जहाज पर न चढ़ सका हो, मगर बिना अंतरिक्ष यान पर सवार हुए वह जमीन पर ही चांद पर टहलने का आनंद ले सकता है। मुंबई-अमदाबाद हाइवे से लेकर तकरीबन पूरे देश की सड़कों पर चांद उतर आया है। जो बाढ़ केरल में प्रभु के कोप का परिणाम है, वही बाढ़ गुजरात में अनबायोलॉजिकली प्रगट हुए अवतारीलाल की कृपा से वरदान है। सड़कों पर हुए गड्ढे विकास और जीवन उन्नयन के नए आयाम बनकर उभरे हैं। इन गड्ढों का पहला लाभ आम जनता को ही है कि वह तेज गति से वाहन नहीं चला पा रही है, जिससे लोग दुर्घटना का शिकार होने से बच रहे हैं। कोई अमीरजादा अपनी पोर्श कार को तेजी से भगा नहीं सकेगा, जिससे कई लोगों की जान बच सकेगी। मान लीजिए गड्ढों के कारण कोई दुर्घटना का शिकार हो भी गया तब भी लाभ ही लाभ है। इन गड्ढों में भरे पानी में मच्छर आबाद होकर बीमारियां पैâलाएंगे तो इससे ठंडे पड़े चिकित्सा क्षेत्र को लाभ होगा। दवा बनानेवाली कंपनियों से लेकर दवा दुकानों और उनमें कम करने वाले लोगों का रोजगार सुरक्षित रहेगा। चूंकि गड्ढे स्थायी नहीं रह सकते, इसलिए उनकी भरपाई-मरम्मत के काम निकलेंगे तो निर्माण क्षेत्र में उछाल आएगा और ठेकेदार से लेकर बाबू बिरादरी व नेताओं को भी अतिरिक्त कमाई के अवसर मिलेंगे। रोजगार बढ़ेगा। सड़क बनेगी तो चाय टपरी से लेकर खाना बनाने-बेचनेवाले धंधे बढ़ेंगे। सड़क फिर से बन जाने के बाद टोल नाकों का काम बढ़ेगा और रोजगार के कई अवसर उत्पन्न होंगे। चूंकि सड़कें फ़िलहाल गड्ढों के कारण चंद्रमा की सतह का अहसास करा रही हैं इसलिए इसे चंद्र क्षेत्र घोषित कर पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके अलावा गुजरात में आई बाढ़ के फायदे बताने के लिए गोदी मीडिया भी है। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र और उत्तराखंड में भी बाढ़ है, मगर वहां इसका असर कम इसलिए है कि नेताओं के बयानों की बाढ़ के आगे यह बाढ़ टिकने में असमर्थ है। बंगाल और हिमाचल में बाढ़ सरकारी पाप का नतीजा है, क्योंकि वहां भाजपा की सरकार नहीं है। जय बरसात, जय बाढ़।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)