मुख्यपृष्ठनए समाचारउद्धव जी महाराष्ट्र के निडर और सच्चे कुटुंब प्रमुख हैं -सोमनाथ वास्कर

उद्धव जी महाराष्ट्र के निडर और सच्चे कुटुंब प्रमुख हैं -सोमनाथ वास्कर

शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे से मेरी सबसे पहली मुलाकात मार्च २००५ में हुई। मैं नई मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का सबसे युवा नगरसेवक था। मातोश्री पहुंचा। दिल जोरों से धड़क रहा था। कहां उनका बुलंद कद और कहां मैं? नवी मुंबई महानगरपालिका का नगरसेवक‌, लेकिन उनके सादगी भरे अंदाज से मेरे दिल की धड़कन नॉर्मल हो गई। इतने बड़े इंसान, महाराष्ट्र की आन, बान और शान और इतनी सादगी… मैं अभिभूत हो गया उनकी आत्मीयता से, उनके स्नेह से…। उन्होंने सबसे युवा नगरसेवक होने की बधाई दी और कहा, ‘…आने वाला समय तुम्हारा ही है, तुम शिवसेना के एक मजबूत नेता बनोगे… हमें तुम्हारी उपलब्धि पर गर्व है।’ मेरे जैसे साधारण व निष्ठावान शिवसैनिक परिवार के एक युवा के लिए इससे बड़ी और क्या बात हो सकती थी। मेरी आंखों में आंसू थे… काश मेरे पिता मेरे साथ होते!
मैंने अपने परिवार को निष्ठावान शिवसैनिक परिवार कहा, क्योंकि मेरे पिताजी चिंतामण वास्कर एक कर्मठ निष्ठावान शिवसैनिक थे। नई मुंबई में शिवसेना को खड़ी करने में उनकी भूमिका नींव के पत्थर की रही। उस वक्त शिवसेना के बड़े नेता आनंद दिघे का उन्हें मार्गदर्शन मिला। हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के आशीर्वाद से जब उन्हें एक शाखाप्रमुख के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी गई तो उन्होंने सामाजिक कार्यों के जरिए नवी मुंबई में शिवसेना की अलख जगाए रखी और वही कार्य मैं भी उद्धव साहेब के आशीर्वाद से कर रहा हूं।
१९९७ में मेरे पिता का स्वर्गवास हुआ। उनकी १३वीं में आंनद दिघे हमारे घर आए। घर की आर्थिक स्थिति उनकी नजरों से छिप नहीं पाई। कुछ दिनों बाद पालकमंत्री दिवाकर रावत का पत्र मिला कि दिघे साहब की सिफारिश पर हमें झुणका भाखर केंद्र आवंटित किया गया है। रोजगार का एक जरिया शुरू हुआ अचानक बड़े भाई की नौकरी छूट गई। मैं भाई के साथ फिर उनके पास पहुंचा। उन्होंने फाइजर में मेरे बड़े भाई महेश को नौकरी दिला दी और मुझसे कहा, ‘अब तुम नौकरी मत मांगो, समाजसेवा करो, मुझे तुममें में अगला नगरसेवक दिख रहा है और मुझे जो दिखता है वह पूरा होकर रहता है। पिता भी नहीं रहे वे भी नहीं रहे। हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे के दर्शन हुए। उन्हीं के आशीर्वाद से मैं नवी मुंबई का अकेला नगरसेवक हूं, जिसने शिवसेना के नाम पर लगातार जीत हासिल की है। मेरी पत्नी कोमल वास्कर भी दो बार नगरसेवक रह चुकी हैं। हमारी निष्ठा हमेशा से हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे और शिवसेना के प्रति रही है। कई अच्छे-अच्छे लोगों को मैंने जीत के बाद पाला बदलते देखा। शिवसेना के नाम पर जीत कर दूसरे दलों के सामने बिकते हुए देखा है, गद्दारी करते देखा है, गिड़गिड़ाते हुए देखा है।
हालांकि, हम पर भी राजनीतिक, शासकीय तंत्र का आधार लेकर पार्टी को छोड़ने का प्रेशर लगातार बना हुआ है लेकिन सच्चा शिवसैनिक झुकता नहीं।
उद्धव जी एक सच्चे, निडर, निष्कलंक और महाराष्ट्र के कुटुंब प्रमुख हैं। मैं नतमस्तक हूं, अभीभूत हूं उनके स्नेह, प्यार और आशीर्वाद से। हृदय की गहराइयों से उनको धन्यवाद।

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