अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गृह जिला ठाणे है, लेकिन इसी ठाणे में दिव्यांगों, गर्भवती महिलाओं, छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। कुछ महीने पहले ठाणे जिले के उल्हासनगर में बड़े धूमधाम से बस सेवा शुरू की गई थी। बस सेवा शुरू होने के बाद कई लोगों ने राहत की सांस ली और इसकी उम्मीद जताई कि अब परिवहन सेवा का न केवल लाभ मिलेगा बल्कि यात्रा में कुछ छूट भी मिलेगी, लेकिन बस सेवा शुरू होने के बाद लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
उल्हासनगर मनपा की परिवहन सेवा में दिव्यांगों, गर्भवती महिलाओं, छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, पत्रकारों, और पुरस्कार प्राप्त लोगों को भाड़े में रियायत नहीं दी जा रही है। इस बात को लेकर उल्हासनगर की परिवहन सेवा में यात्रा करने वाले लोगों से और बस कंडक्टर से आए दिन वाद-विवाद होते रहते हैं।
बता दें कि उल्हासनगर मनपा में दस सामान्य बसें शुरू हैं, जबकि दस एसी (वातानुकुलित) बसें जल्द ही आने वाली हैं। लेकिन ये बसें कब तक शुरू होंगी, यह कहना कठिन है। गौरतलब है कि उल्हासनगर में बड़ी संख्या में दिव्यांग रहते हैं जो अलग-अलग श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उल्हासनगर की परिवहन सेवा में दो सीटे दिव्यांग लोगों के लिए जरूर आरक्षित की गई हैं, लेकिन किराए में कोई भी रियायत नहीं दी गई है। जबकि महिलाओं जितनी सीटें आरक्षित की जानी थीं उतनी नहीं की गई हैं। इसके बाद पत्रकारों के लिए भी सीट आरक्षित हो, ऐसी मांग उठ रही है।
जल्द होगा अमल
उल्हासनगर मनपा के परिवहन विभाग के प्रमुख विनोद केने ने बताया कि जल्द ही बस भाड़े में आरक्षण के साथ ही बस में सीटों का भी आरक्षण दिया जाएगा। इस बारे में प्रस्ताव बनाया गया है।जल्द ही उस पर अमल किया जाएगा।