एमएम सिंह
एक मीडिया हाउस को दिए गए इंटरव्यू में पूर्व विदेश एवं वित्त मंत्री और एक जमाने के भाजपा के कद्दावर नेता यशवंत सिन्हा ने कहा है कि आज देश में अघोषित इमरजेंसी है। उनके अनुसार, अघोषित इमरजेंसी के तहत प्रजातंत्र की संस्थाओं पर सरकार ने कब्जा कर लिया है और उनके माध्यम से लोगों के मन में डर पैदा कर रही है कि हमारी बात नहीं मानोगे तो जेल जाओगे। उनके मुताबिक, सरकार ने बिना अभियोग पत्र दाखिल किए ऐसे कई लोगों को जेल में रखा है जो सरकार से असहमत विचार रखते हैं या मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। हालांकि उनका विश्वास है कि प्रजातंत्र कभी मरेगा नहीं, भले ही कमजोर हो जाएगा। क्योंकि प्रजातंत्र की संस्थाएं जो २०२४ के आम चुनाव के पहले मृतप्राय थीं, अब उनमें थोड़ी बहुत जान आ रही है। सिन्हा का मानना है कि शासक दल में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है। बाहरी लोकतंत्र के मामले में इसके पहले पार्लियामेंट दबी-कुचली थी। कई कानून बिना बहस के पास कर दिए गए थे। करीब १५० विपक्षी सांसदों को निष्काषित कर दिया गया। अब उसमें थोड़ी जान दिख रही है क्योंकि शासक दल की संख्या घटकर २४० पर आ गई है। एक लंबे अरसे तक भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का मानना है कि मोदी का स्वभाव प्रजातांत्रिक नहीं है और न ही आज की भाजपा में प्रजातंत्र है। सिन्हा एक सवाल ‘वे मौजूदा जनादेश से क्या फर्क देखते हैं?’ के जवाब में अपनी उपरोक्त बातों को विस्तार से समझाते हैं। उनका जवाब इस तरह है,’ मौजूदा जनादेश से फर्क तो पड़ा है, मगर दिखाने की कोशिश है कि कुछ हुआ ही नहीं। प्रधानमंत्री मोदी का स्वभाव प्रजातांत्रिक नहीं है। इसी पार्टी के अटल जी का स्वभाव प्रजातांत्रिक था। मैं तो उनकी सरकार में चार साल वित्त मंत्री था। अटल जी प्रजातांत्रिक व्यवस्था और पार्लियामेंट में विश्वास करते थे। पार्टी के अंदर आंतरिक लोकतंत्र में विश्वास करते थे। यह सब मोदी में नहीं है। उनका स्वभाव ही नहीं है। उनका यह स्वभाव अधिनायकवादी है। सिंह का मानना है कि यदि सरकार ने अपने तौरतरीकों में बदलाव नहीं किया तो उसके हाथ से सत्ता चली जाएगी! उनका मानना है कि यदि सरकार के रंग ढंग में परिवर्तन नहीं होगा और भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना नहीं होगी तो लोकसभा चुनाव के नतीजे और हाल ही में हुए उपचुनावों के नतीजे की तरह इस साल होने वाले महाराष्ट्र हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव में उसे धक्का लगना तय है। सिन्हा आगे कहते हैं कि इससे यह सरकार धीरे-धीरे कमजोर होती चली जाएगी। कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी या तो गिर जाएगी या मोदी खुद कहेंगे कि अब चुनाव में चलो।