सामना संवाददाता / लखनऊ
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कल राजधानी लखनऊ में संगठन के कामकाज की समीक्षा की। उन्होंने पार्टी प्रदेश कार्यालय में यूपी और उत्तराखंड के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यूपी सरकार धार्मिक मुद्दों की आड़ में स्वार्थ की राजनीति कर रही है। देश व समाज को संकीर्ण जातिवादी व सांप्रदायिक तत्वों की जकड़ से निकालने के लिए दलित व आंबेडकरवादी बहुजनों को अपना संघर्ष ढीला नहीं पड़ने देना है, बल्कि इसको और अधिक प्रभावी बनाना है।
उन्होंने हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि साफ-सुथरा चुनाव कराना चुनौती बन चुका है। यह संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुका है। इसका चेक एंड बैलेंस जरूरी है।
भाजपा की गरीब-विरोधी व उनकी धन्नासेठ समर्थक नीतियों से लोगों में आक्रोश है। लोगों का ध्यान बांटने के लिए ही यह पार्टी नए जातिवादी, सांप्रदायिक व संकीर्ण हथकंडों का इस्तेमाल करती है। चुनाव में इसका लाभ भी ले लेती है। यूपी व उत्तराखंड में जबरदस्त महंगाई है। भाजपा की तुष्टीकरण की राजनीति लोगों को खुशहाल जीवन नहीं दे पा रही है। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस छह दिसंबर को है। इसकी तैयारी की जाए। लखनऊ, कानपुर व अयोध्या मंडल के लोग लखनऊ के गोमती नगर में आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल में श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे। जबकि, मेरठ व दिल्ली के लोग नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यूपी के बाकी १४ मंडल के लोग अपने-अपने मंडल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होंगे। अन्य राज्यों के लोग भी अपने-अपने प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। उन्होंने कहा कि अडाणी समूह पर लगा नया आरोप और संभल मस्जिद विवाद ऐसे ज्वलन्त मुद्दे हैं, जिसको लेकर संसद में सरकार एवं विपक्ष के बीच टकराव के कारण संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है।