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महायुति के राज में भगवान भरोसे स्वास्थ्य व्यवस्था  …सैकड़ाें पद हैं खाली … पूरा काम आउटसोर्स

क्लास वन के ३० फीसदी पद रिक्त
क्लास फोर के कामों को दिया निजी कंपनियों के हाथों में 

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में महायुति के राज में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। ऊपर से लेकर नीचे तक हर श्रेणी में कर्मचारियों की भारी कमी है। रिपोर्ट के अनुसार, जहां एक तरफ क्लास वन में सबसे ज्यादा ३० फीसदी पद खाली पड़े हैं तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र की एनडीए सरकार के इशारे पर घाती सरकार ने क्लास फोर में नौकरियों के अवसर को खत्म करने की नीति तैयार कर ली है। इसके तहत क्लास फोर के कामों को कराने के लिए अब निजी कंपनियों के माध्यम से आउटसोर्सिंग करने लगी है। इसे लेकर सरकार ने दावा किया है कि इससे लागत कम होगी।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में जिला, उप जिला (कॉटेज) और रूरल समेत कुल ४५९ अस्पताल सेवारत हैं। इसके साथ ही प्राइमरी हेल्थ सेंटर की संख्या भी १,९१३ है। इसी तरह आयुष्यमान आरोग्य सेंटरों की संख्या भी ८,२५६ है। इन अस्पतालों और प्राइमरी हेल्थ सेंटरों में स्वास्थ्य व्यवस्था का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी घाती सरकार के स्वास्थ्य विभाग के कंधों पर है। हालांकि, राज्य में घाती सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से ही इन अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाओं की कमी और लापरवाही के चलते इलाज कराने पहुंच रहे कई मरीज वापस घर नहीं लौट रहे हैं, उनकी अस्पताल में ही मौत हो जा रही है। इसमें सबसे बड़ा योगदान डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के खाली पड़े पद हैं, जिसे भरने पर जोर देने की बजाय यह सरकार राजनीति करने, चुनाव और जोड़-तोड़ में मस्त है।
दबाव में काम कर रहे हैं डॉक्टर
राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में क्लास वन से फोर तक कुल १.३० लाख अधिकारी, चिकित्सक और कर्मचारियों का पद मंजूर है। इसमें से क्लास वन में ३० फीसदी, क्लास टू में १० फीसदी और क्लास थ्री में पांच प्रतिशत पद रिक्त हैं। सबसे ज्यादा रेडियोलॉजिस्ट और ऑर्थोपेडिक्स के साथ ही डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टरों की कमी है। दूसरी तरफ क्लास फोर के कामों को आउटसोर्स किए जा रहे हैं। इसके चलते क्लास फोर के पोस्ट को ही एक तरह से खत्म कर दिया गया है।

कंपनियां कर रहींr क्लास फोर के काम  
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले साफ-सफाई, लांड्रिंग सर्विस, सिक्योरिटी सर्विस समेत अन्य सेवाएं क्लास डी के कर्मचारियों के जरिए कराया जाता था। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई नीति के कारण हमें क्लास डी में रेगुलर मैन पावर भर्ती को बंद करना पड़ा है।

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