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अनूठी परंपरा : दशहरे पर लंकापति रावण का दहन नहीं…बल्कि पूजा करते हैं गांव के लोग

-रावण बाबा के मंदिर के सामने से घूंघट डाल निकलती हैं महिलाएं

सामना संवाददाता / विदिशा

जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर नटेरन तहसील के रावण गांव में 12 अक्टूबर को दशहरे पर लंकापति रावण के पुतले का दहन नहीं, बल्कि दशानन रावण प्रतिमा की पूजा-अर्चना होगी। प्रतिमा के बीच के हिस्से में बनी नाभि में गांव के लोग पूजा-अर्चना के साथ ही खाद्य तेल से भीगी हुई रुई लगाएंगे।
प्रतिमा की चौड़ाई 3 फीट है और लंबाई करीब 12 फीट है। प्रतिमा के ऊपरी हिस्से में नंदी के पैर दिखते हैं। वहीं दोनों हाथ में हिरण दिखता है। इसके अलावा कमर में मृग छाल नजर आता है। इतिहासकार गोविंद देवलिया का कहना है कि यह प्रतिमा तीसरी शताब्दी की मानी जाती है।
मंदिर के पुजारी पंडित नरेश तिवारी का कहना है कि दशानन का वध भगवान श्रीराम के तीर के लगने से हुआ था। यह तीर दशानन की नाभि में लगा था। लोगों की मान्यता है कि खाद्य तेल से भीगी हुई रुई लगाने से दशानन की नाभि में मरहम लगेगा। इससे उनका दर्द कम होगा। यह सिलसिला गांव में पीढ़ियों से चला आ रहा है। गांव के एडवोकेट लक्ष्मीनारायण तिवारी का कहना है कि गांव के लोग दशानन को अपना इष्ट मानते हैं। इसलिए हर शुभ कार्य से पहले उनका पूजन करते हैं। गांव के सभी लोग रावण नहीं बोलकर सम्मान के रूप में रावण बाबा ही बोलते हैं।
गांव में 2,500 की आबादी
इनमें कान्यकुब्ज ब्राह्मण 80 प्रतिशत गांव के कई युवाओं ने जय लंकेश गुदवा रखा है। वहीं विदिशा के पास ढोल खेड़ी गांव के एक युवक का नाम ही लंकेश है। गांव की आबादी करीब 2,500 है। इसमें कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के लोग ही करीब 80 फीसदी हैं। इसके अलावा ब्राह्मण समाज के लोग खाईखेड़ा, मूइरा, रिनिया, पमारिया, सेऊ, बम्हौरी, नगतरा, देवखजूरी, बामनखेड़ा, हिरनोदा, नाग पिपरिया, परासी, बरों गांव में रहते हैं।
दशहरे के एक माह पूर्व से रामायण पाठ
संस्कृत विद्वान शिवकुमार तिवारी का कहना है कि दशहरे पर परंपरागत पूजा होती है। वहीं दशहरे के एक महीने पहले हर साल रामायण पाठ होता है, ताकि दशानन को मोक्ष मिल सके। लोग मानते हैं कि प्रभुश्री राम की महिमा सुनाने से उनको मोक्ष प्राप्त होगा। मान्यता है कि शादी में तेल से भरी कड़ाही तब तक ठंडी रहेगी, जब तक पूजा न की जाए। इसलिए कड़ाही चढ़ाने
के पहले दशानन की पूजन करते हैं। मंदिर के सामने से घूंघट डाल महिलाएं निकलती हैं।

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