सामना संवाददाता / मुंबई
विधानमंडल में कल मराठा-ओबीसी आरक्षण को लेकर जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के कारण विधानसभा का कामकाज चार बार स्थगित करना पड़ा। वहीं हंगामे के बीच सत्ता पक्ष ने अनुपूरक मांग सहित चार विधेयक पास कर दिए। विधानसभा की नियमित कार्यवाही कल ११ बजे शुरू हुई। प्रश्नोत्तर काल समाप्त होने के बाद भाजपा के अमित साटम खड़े हुए और मराठा-ओबीसी आरक्षण पर सर्वदलीय बैठक में महाविकास आघाड़ी के सदस्यों की अनुपस्थिति का मुद्दा उठाया। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने महाविकास आघाड़ी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। एक तरफ जहां सत्ताधारी सदस्यों की तरफ से जमकर हंगामा शुरू था,वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के सदस्य शांत बैठे हुए थे। सत्ता पक्ष के सदस्यों को जवाब देने के लिए विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार खड़े हुए थे, लेकिन सत्ता पक्ष के विधायकों की नारेबाजी जारी रही। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सत्ता पक्ष के सदस्यों से शांत रहने और विपक्षी नेताओं की बात सुनने की अपील की। इस बीच विजय वडेट्टीवार ने सत्ता पक्ष के हंगामें के बीच अपने भाषण की शुरुआत की।
महायुति ने ही पैदा किया तनाव
महायुति ने ही मराठा और ओबीसी समाज के बीच दरार पैदा की। अब यह साफ हो गया है कि यह सरकार आरक्षण के मुद्दे का समाधान नहीं करना चाहती। उम्मीद थी कि सरकार सदन में अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी, ताकि जनता को आरक्षण के बारे में जानकारी मिल सके। लेकिन सरकार जनता को अंधेरे में रखना चाहती है इसलिए सरकार आरक्षण मुद्दे पर सदन में नहीं बोलती। सरकार आरक्षण मुद्दे का समाधान नहीं करना चाहती इसलिए महायुति को सत्ता से बाहर हो जाना चाहिए। विजय वडेट्टीवार ने कहा कि हम भ्रष्टाचार और घोटालों को सामने ला रहे हैं। इसलिए सरकार भ्रम पैदा कर काम रोकने की कोशिश कर रही है। सत्ताधारियों के हंगामे में विपक्षी दल के नेताओं के भाषण शुरू थे। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बार-बार सत्ता पक्ष से शांत रहने की अपील की। सत्ता पक्ष की बात नहीं सुनने पर स्पीकर ने पहले सत्र में सदन की कार्यवाही क्रमश: पांच मिनट, दस मिनट, ४५ मिनट फिर बीस मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद जैसे ही कामकाज दोबारा शुरू हुआ, वित्त मंत्री अजीत पवार ने अनुपूरक मांगे और चार विधेयक मंजूरी के लिए पेश किए। तभी फिर से सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया, हंगामें के बीच अनुपूरक मांगें और विधेयक पारित हो गए। इसके बाद पीठासीन अध्यक्ष संजय शिरसाट ने सदन को दिन्सभर के लिए स्थगित कर दिया।
महायुति के पास २०० से अधिक विधायक होने के बावजूद सरकार आरक्षण मुद्दे का समाधान नहीं कर रही है, उल्टे सदन में अव्यवस्था के कारण काम रोका जा रहा है। विपक्ष को सदन में बोलने की इजाजत नहीं है, क्योंकि इससे महायुति की पोल खुल जाएगी।
– विजय वडेट्टीवार, विधानसभा में विपक्ष के नेता
कम से कम विपक्षी दल के नेताओं की बात तो सुनें। शांत बैठो। ये सही बात नहीं है। आसन पर बैठे रहिए। विपक्षी दल के नेताओं की बात सुनें। कार्य स्थगित करना पड़ रहा है।
-राहुल नार्वेकर, विधानसभा अध्यक्ष