उत्तर प्रदेश का राजनीतिक तापमान दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष लोकसभा चुनाव के ‘मोड’ में आ चुके हैं। खेमेबंदी और किलेबंदी की कवायदें जारी हैं। ऐसे में राज्य का प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी भी और तेजी से आम चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के नए सिरे से गठन से लेकर कार्यकर्ता तक प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से संगठन के पेच कसने शुरू कर दिए हैं। गौरतलब है कि सपा प्रमुख की विपक्षी गठबंधन इंडिया में सक्रिय भूमिका के चलते भाजपा में बेचैनी का माहौल है। अखिलेश यादव २०२४ के आम चुनाव में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं। वहीं सपा की तैयारियों के मद्देनजर ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी गठबंधन सत्ता पक्ष को बराबर की टक्कर दे सकता है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में २०२४ के लोकसभा चुनावों के लिए पिछड़े वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक के संयोजन के रूप में ‘पीडीए फॉर्मूला’ पेश किया था। उनका मानना है कि पीडीए फॉर्मूला की मदद से अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पराजित किया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बीते दिनों समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर १८२ सदस्यीय प्रदेश कार्यकारिणी घोषित की है। पार्टी का सितंबर, २०२२ में राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था और कार्यकर्ता तभी से प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने का इंतजार कर रहे थे। राष्ट्रीय सम्मेलन में ही एमएलसी नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया था। राज्य कार्यकारिणी में ४८ सदस्य और ६२ विशेष आमंत्रित सदस्य भी नामित किए गए हैं। सपा की प्रदेश कार्यकारिणी में पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) का दबदबा दिखाई देता है। कार्यकारिणी में २४ मुसलमान, १७ दलित और ११ यादवों को जगह मिली है। इस गणना में ६३ विशेष आमंत्रित सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है। इस तरह से अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव और सदस्यों की संख्या ११९ है। इनमें ८ ब्राह्मण, ४५ गैर यादव ओबीसी और १४ वैश्य, कायस्थ, जैन, सिख और ईसाई समुदाय से हैं। राजनीतिक विषलेषकों के मुताबिक, यादव और मुस्लिम (एमवाई समीकरण) वोटर सपा का कोर वोट बैंक हैं। लेकिन सपा पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के मध्य लगातार अपनी पैठ बढ़ा रही है। जिसकी झलक प्रदेश कार्यकारिणी में दिखाई देती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रशिक्षण शिविर के जरिए अपने कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर उन्हें मिशन २०२४ के लिए तैयार करने में जुटे हुए हैं। समाजवादी पार्टी का लोकसभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन वर्ष २००४ में था। उस समय उसने सर्वाधिक ३५ सीटें जीती थीं। सपा मुखिया इससे भी अच्छा प्रदर्शन २०२४ में करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अवध क्षेत्र के जिलों लखीमपुर खीरी व सीतापुर के बाद अब समाजवादी पार्टी बांदा, फतेहपुर व फिरोजाबाद में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने जा रही है। इसके लिए पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने में लगी हुई है। इसके लिए पार्टी अपने कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रही है। इसमें खुद सपा मुखिया अखिलेश पहुंच रहे हैं और अपने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा रहे हैं। अखिलेश इस बार लोकसभा चुनाव के लिए पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नारा लेकर आए हैं। इसके महत्व को भी सपा मुखिया अपने कार्यकर्ताओं को बताएंगे। बांदा में प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर पार्टी यहां से बुंदेलखंड को केंद्रित करेगी। यहां तैयारियों की जिम्मेदारी पूर्व एमएलसी सुनील सिंह साजन व उदयवीर को सौंपी गई है। दूसरा प्रशिक्षण शिविर फतेहपुर में लगाया जाएगा। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम प्रदेश इसी जिले से आते हैं। यहां का प्रशिक्षण शिविर इन्हीं की देख-रेख में संचालित होगा। इसके बाद तीसरा शिविर फिरोजाबाद में लगाया जाएगा। यहां के लिए भी वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। सपा की चुनावी तैयारियों की गंभीरता को इस पहलू से समझा जा सकता है कि पहली बार सपा ने लोकसभा सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति की है। पार्टी ने ३६ सीटें चिह्नित की हैं, जहां पर सपा लगातार काम कर रही है। वहीं इस बार सपा कुछ विधायकों को भीr लोकसभा चुनाव लड़ाएगी। सूत्रों के अनुसार, कुछ सीटों के प्रभारी भी उम्मीदवार हो सकते हैं। गौरतलब है कि २०१९ के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन ने १५ सीटें जीती थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार विपक्ष इंडिया गठबंधन के तहत मजबूत दिख रहा है। इस बार यूपी की तस्वीर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। और इस बदलाव में सपा की बड़ी भूमिका होगी।
राजेश माहेश्वरी, लखनऊ
(लेखक उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं।)