श्रीकिशोर शाही
लोकसभा चुनाव के मध्य में हरियाणा की सैनी सरकार के लिए बुरी खबर आई है। हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा की नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस क्या ले लिया, सैनी साहब की सांसें तेज हो गई हैं। सैनी क्या, उस जगह पर जो भी नेता होता, उसकी सांसें तेज हो जातीं। असल में भाजपा जिस तरह से विधायकों को तोड़-फोड करके सरकारें गिरवाती और अपनी बनवाती है, वह किसी से छिपा नहीं है। अब हरियाणा में उसी के साथ खेला हो गया। तीन निर्दलीय विधायकों के सरकार से हटने के बाद नायब सिंह सैनी की सरकार खतरे में है। वैसे राजनीति के जानकारों का मानना है कि सैनी सरकार फिलहाल खतरे में नहीं है, क्योंकि एक बहुमत परीक्षण के बाद ६ महीने बाद ही अगले बहुमत परीक्षण का नंबर आता है। अभी गत मार्च में ही बहुमत परीक्षण हुआ था। खैर, अब जो भी संवैधानिक व्यवस्था हो पर इसमें कोई शक नहीं है कि सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है। हरियाणा में जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस लिया है, उनमें चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और पुंडरी से रणधीर गोलन शामिल हैं। इन तीनों ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में समर्थन का एलान किया। ९० सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में फिलहाल ८८ विधायक हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके अलावा हिसार से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रणजीत चौटाला भी विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अब जो भी मामला हो पर इतना तो तय है कि हरियाणा में हुड्डा साहब पूरे उस्ताद साबित हुए इस खेल में। सो सैनी साहब सावधान!
पंजाब में फिर बही खालिस्तान की हवा
पता नहीं पंजाब की फितरत में क्या है, जो वहां रह-रहकर खालिस्तान की हवा बहने लगती है। कुछ गैप के बाद फिर इस चुनावी मौसम में खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह के लोकसभा चुनाव लड़ने की खबरें आनी शुरू हो गई हैं। एक बार फिर उसके पिता तरसेम सिंह ने बड़ा दावा किया है। तरसेम सिंह का कहना है कि अमृतपाल सिंह चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन `संगत’ या कम्युनिटी के कहने पर उसने अपना मन बदल लिया। संगत के लोग चाहते थे कि वह चुनाव मैदान में उतरे। अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। खबर के अनुसार, अमृतपाल पंजाब के खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उसे पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया था। वह अपने नौ सहयोगियों के साथ असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। अब अमृतपाल के पिता का कहना है कि अमृतपाल अपनी सजा पूरी कर चुके `बंदी सिंह’ या सिख वैâदियों की रिहाई के साथ-साथ नशीली दवाओं के खतरे का मुद्दा उठाएंगे। तरसेम जहां भी जा रहे हैं, लोग उनका समर्थन कर रहे हैं। तरसेम का दावा है कि सरकार ने उन्हें बदनाम करने की बहुत कोशिश की, लेकिन लोग उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा की पत्नी परमजीत कौर खालरा अमृतपाल सिंह के चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगी यानी मतलब साफ है कि पंजाब से खालिस्तान का जिन्न जल्द रुखसत होनेवाला नहीं है।
जो बात मुझमें है, वो किसी और में नहीं
हरियाणा में चौधरी बंसीलाल की बहू किरण चौधरी का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। इससे उनका मन जरूर दुखी होगा। किरण चौधरी हरियाणा के फतेहाबाद, तोशाम से विधायक हैं। आकर्षक व्यक्तित्व की स्वामिनी किरण जहां भी रहती हैं, अपनी महफिल जमा लेती हैं। अब स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम क्यों शामिल नहीं किया गया, इस सवाल को वे हंसकर उड़ा देती हैं। किरण का कहना है कि क्या हुआ जो नाम नहीं है। जो स्टार क्वालिटी मेरी है, वो किसी और में तो नहीं है। विपक्ष चाहे कितना भी इश्यू बनाए। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जो बात किरण में है वो किसी और में कहां…वैसे पार्टी में किरण से खार खाने वाले बहुत हैं और उनमें से ही किसी एक ने ये गेम किया है। बहरहाल, किरण का कहना है कि उनका सफर बहुत ही कठिन रहा है। बहुत सारी ऐसी ताकतें हैं, जो कोशिश करती हैं कि हम आगे न बढ़ पाएं। इन चीजों को निपटाने में उन्हें काफी समय लगा है, मगर अब पूरे प्रदेश का दौरा कर पुराने कार्यकर्ताओं से मिलूंगी। किरण चौधरी ने सिरसा लोकसभा क्षेत्र से `इंडिया’ गठबंधन प्रत्याशी कुमारी शैलजा के लिए चुनाव प्रचार किया तो अच्छी खासी भीड़ जुटी थी। आखिर उनके ससुर चौधरी बंसीलाल की एक समय पूरे प्रदेश में धमक थी। उन्होंने अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह क्षेत्रवाद नहीं किया। चौधरी बंसीलाल व सुरेंद्र सिंह से जुड़े कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में हैं और वह आज भी उनको याद करते हैं।