एक साल पहले सीरम ने कर दिया था उत्पादन बंद इस देश का भी अजीब हाल है। जब कोविड बढ़ने लगा तब एक बार फिर वैक्सीन की याद आई है। पर हैरानी की बात है कि देश में वैक्सीन गायब है। वैक्सीन की काफी मात्रा एक्सपायर हो चुकी है। बस चंद खुराक हैं, जो कुछ केंद्रों पर उपलब्ध हैं।
अजीब बात है कि देश में कोविड महामारी फिर से पनप रही है और टीके का अकाल पड़ गया। वैसे यह बहुत सारी आशंकाओं और आशंकाओं की संभावनाओं को जन्म देता है। कहीं यह जान-बूझकर सोची-समझी साजिश के तहत निर्मित कृत्रिम परिस्थिति तो नहीं? कहीं यह दवा की कमी आपदा में अवसर ढूंढ़ने वालों की कृत्रिम आपदा निर्मित करने की कोशिश तो नहीं? यदि ऐसा नहीं है तो महामारी से संबंधित इतनी सारी जानकारी और अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ महामारी के कारक वायरस के व्यवहार को समझने में और वैक्सीन की आवश्यकता का आकलन करने में गलती कैसे कर सकते हैं? क्या सही से प्लानिंग कर जरूरत के हिसाब से वैक्सीन की आपूर्ति जारी नहीं रखी जा सकती थी? क्या वैक्सीन की इस बर्बादी से नहीं बचा जा सकता था?
कोविन पोर्टल के अनुसार, ८ अप्रैल को देशभर में केवल १८२ निजी और सरकारी केंद्रों पर टीकाकरण अभियान चालू था। दिल्ली में केवल ८ और महाराष्ट्र में ४७ केंद्रों पर यह चालू है। महाराष्ट्र के सभी सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर टीकाकरण बंद कर दिया गया है क्योंकि कोवैक्सीन का वर्तमान स्टॉक ३ मार्च को ही एक्सपायर्ड हो गया था और फरवरी से कोविशील्ड का स्टॉक भी नहीं है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा वैक्सीन की मांग केंद्र सरकार के पास भेज दी गई है। चिकित्सालयों में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मांग बढ़ रही है लेकिन भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट इन दोनों कंपनियों ने ही क्रमश: कोविशील्ड और कोवैक्सीन का उत्पादन बंद कर दिया है। दोनों कंपनियां कह रही हैं कि यदि राज्य या केंद्र सरकार ऑर्डर देती है तो वे कोविड वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर सकती हैं।