– सौ करोड़ रुपए हुआ बर्बाद… वर्षों से कुछ नहीं दिखाई दे रहा है बदलाव
अनिल मिश्रा / अंंबरनाथ
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एमआईडीसी को अंबरनाथ-बदलापुर की एमआयडीसी की कंपनी बिना किसी तरह की प्रक्रिया के वालधुनी नदी में बड़ी मात्रा में दूषित रसायनों को छोड़ने से रोकने के लिए निर्देश दिया था। मोटी रकम की निविदा निकालने के बावजूद योजना फेल दिखाई दे रही है। वर्षों से वालधुनी नदी को प्रदूषण मुक्त की घोषणा सिर्फ घोषणा बन कर रह गई है। तेज मानसून में जगह-जगह से बिछाई गई पाइप लाइन टूट गई है।
एमआईडीसी ने अंबरनाथ फॉरेस्ट नाका से 17.5 किमी लंबी पाइप लाइन सौ करोड़ रुपए के करीब की निविदा निकाल कर काम शुरू किया गया। इस निविदा में बताया गया कि हाई कार्बाइड की पीव्हीसी पाइप के सहारे अंबरनाथ एमआईडीसी की सीवेज परियोजना के माध्यम से अंबरनाथ में कल्याण से वसई की खाड़ी तक दूषित रसायन युक्त पानी पर रासायनिक प्रक्रिया कर कल्याण की खाड़ी में छोड़ा जाएगा। 17.5 किलोमीटर की पाइप लाइन लगाई तो गई है, परंतु वास्तव में यदि देखा जाय तो अंबरनाथ आईटीआई के पीछे से अंंबरनाथ स्टेशन के बीच कई जगह पर पिव्हिसी की पाइप टूट गई है।। मोरीवली-चिखलोली एमआईडीसी से आने वाले रासायनिक पानी को संग्रहित करने के लिए एमआईडीसी प्रशासन द्वारा एक बड़े टैंक का निर्माण किया गया है, परंतु टूटी पाइप के सहारे पानी कल्याण तक जाएगा कैसे? राज्य की ईडी सरकार के अधिकारियों के अनदेखी के चलते वालधुनी नदी से प्रदुषण दूर होने की घोषणा जनता के साथ धोखाधड़ी जैसा साबित हो रहा है।
विगत दिनों प्रबंधन कंपनी एमईपीएल और ग्यान मुंबई के संयुक्त उद्यम परियोजना के प्रभारी जुबेर देशमुख, कार्यकारी अभियंता एमआईडीसी अंबरनाथ के रमेश पाटील, उप अभियंता सुधीर कुंभार, सहायक अभियंता अनिल सालुंखे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वे अब वालधुनी नदी प्रदूषण मुक्ति की दिशा में एक कदम आगे बढ़ेंगे, जबकि पीछे की टूटी पाइप लाइन यह साबित करती है कि वालधुनी नदी सफाई योजना केवल ईडी सरकार के अधिकारियों द्वारा मिलीभगत कर आर्थिक बर्बादी का खुला प्रमाण है। आज वर्षों से वालधुनी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए तरह-तरह की योजना चल रही है। सभी योजना फेल दिखाई दे रही हैं। आज भी वालधुनी नदी के किनारे रहने वाले लोग बदबू, प्रदूषण से त्रस्त हैं।