अनिल मिश्रा / वांगनी
मध्य रेलवे के मुंबई विभागीय मंडल में पुणे मार्ग पर बदलापुर – शेलू के बीच वांगनी उपनगरीय रेलवे स्टेशन स्थित है। यह उपगरीय रेलवे स्टेशन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है। इस स्टेशन पर मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। जिसका खामियाजा स्टेशन से आवागमन करने वाले यात्रियों के साथ दिव्यांगों को भुगतना पड़ रहा है। इस क्षेत्र के आसपास गरीब और मेहनतकश मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं, क्योंकि यहां पर सस्ते किराए पर मकान मिलता है।
वांगनी रेलवे स्टेशन पर मुंबई की तरफ पुराना पादचारी पुल है। उस पुल के पश्चिम में कई वर्ष से लिफ्ट बन रही है। कब तक यह बनकर पूर्ण होगी? यह कहना कठिन है। रेलवे स्टेशनों पर टिकट घर प्राय: बाहर रहता है, ताकि रेलवे परिसर के अंदर जाने से पहले यात्री टिकट खरीद सकें। जबकि वांगनी में टिकट घर स्टेशन के अंदर एक छोर पर है।
कर्जत की तरफ नया पादचारी पुल बनाया गया है। उस पुल पर स्वचालित सीढ़ी, लिफ्ट लगाने की जरूरत है, जिससे ३५० के करीब दिव्यांग लोग आवागमन आसानी से कर सके। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं को पूर्व-पश्चिम जाने में कठिनाई नहीं होगी। वांगनी स्टेशन पर महिला पुलिस, रेल सुरक्षा बल को गणवेश बदलने के लिए जगह रूम नहीं है। शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। प्लेटफॉर्म व गाड़ी के बीच का अंतर काफी हो गया है। ऐसी स्थिति में दिव्यांग, महिला, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक लोगों को गाड़ी में चढ़ने-उतरने में कठिनाई होती हैं। वांगनी स्टेशन पर बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं है। प्लेटफॉर्म पर पूरा शेड नहीं है, जिसके कारण बरसात व गर्मी मे रेल यात्रियों को काफी दिक्कत होती है।
उपनगरीय रेलवे प्रवासी महासंघ व उपनगरीय रेलवे के सलाहकार मनोहर शेलार का दर्द इस बात को लेकर है कि रेल यात्रियों की समस्या को लेकर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मुद्दे रखे जाते हैं, लेकिन बहुत से मुद्दों को रेलवे प्रशासन नजरअंदाज कर देता है।