सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हारे हुए उम्मीदवारों और पार्टी नेताओं की ओर से ईवीएम को लेकर संदेह जताया जा रहा है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के नेता और सांसद संजय राऊत ने सीधे तौर पर कहा कि हम इस नतीजे से सहमत नहीं हैं, वहीं कांग्रेस ने भी ईवीएम पर संदेह जताया है। राज्य के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हारे हुए उम्मीदवार ईवीएम और वोटों की गिनती पर संदेह जताते हुए दोबारा गिनती की मांग कर रहे हैं। इस बीच अकोला में वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) के कार्यकर्ताओं ने मतदान और मतगणना प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर जिला परिषद अध्यक्ष का घेराव किया। वंचित के पदाधिकारियों ने सीधे जिला परिषद अध्यक्ष के सरकारी आवास पर पहुंचे और जमकर हंगामा किया। यहां जिला परिषद अध्यक्ष और वीबीए के पदाधिकारियों के बीच विवाद हो गया है।
वीबीए के गढ़ अकोला जिले में भी पार्टी की बुरी हार हुई है। इस हार के बाद पार्टी में विवाद खुलकर सामने आने लगे हैं। दरअसल, अकोट विधानसभा क्षेत्र वीबीए का गढ़, जहां वीबीए का जिला परिषद अध्यक्ष है। उसके बूथ में भी ९९ वोट मिलने से वीबीए के कार्यकर्ताओं का माथा चकरा गया। अकोट निर्वाचन क्षेत्र में वंचित के दीपक बोडखे उम्मीदवार थे। दिलचस्प बात यह है कि इस साल के विधानसभा चुनाव में वह तीसरे स्थान पर आ गए हैं। शिवाजीनगर गांव के बूथ नंबर १०४ और १०५ पर कांग्रेस को ९५१, बीजेपी को ४७५ और वीबीए को सिर्फ ९९ वोट मिले इसलिए वीबीए के पदाधिकारी जवाब मांगने के लिए रतनलाल प्लॉट चौक स्थित जिला परिषद अध्यक्ष के सरकारी आवास पर पहुंचे।
चूंकि यहां मतदान केंद्र पर वंचित को केवल ९९ वोट मिले, इसलिए कम मतदान को लेकर वीबीए के पदाधिकारियों और जिला परिषद अध्यक्ष अर्चना अधाऊ के बीच भारी बहस हो गई। जिले में हार से फिलहाल वीबीए कार्यकर्ताओं में काफी निराशा है इसलिए अनुमान है कि अगले कुछ दिनों में वीबीए के पदाधिकारियों के बीच बड़ा विवाद होगा। चुनाव निर्णय अधिकारियों ने इसका खंडन करने की कोशिश की। साथ ही चुनाव अधिकारियों ने कहा है कि ईवीएम में कोई खराबी नहीं है