प्रकृति का कहर हिमाचल प्रदेश पर बरपा है। शिमला के रामपुर जिले में बादल फटने से एक गांव का नामोनिशान मिट गया है। समेज गांव में सब कुछ खत्म हो गया है। यहां पर लोगों के अपनों के पास अब आंसुओं के सिवा कुछ नहीं बचा है। वे बस रोने के सिवा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उम्मीद पूरी तरह से टूट चुकी है। बादल फटने के करीब ६० घंटे बाद भी अब तक ३६ लोगों का कुछ पता नहीं चल सका है। १८ महिलाएं, ८ बच्चे और अन्य लोगों के बारे में कोई सुराग नहीं मिला है।
गांव से संबंध रखने वाली अनीता के अनुसार, अचानक रात को साढ़े बारह बजे के करीब घर हिला और बाहर काफी शोर, आवाजें आ रही थीं। वो अपने बच्चों के साथ घर से बाहर आ गई और यहां से भाग कर ऊपर मंदिर में चली गई। उन्होंने पूरी रात मंदिर में ही गुजारी। जब सुबह घर आई तो कुछ नहीं बचा था।
मिली जानकारी के अनुसार, जिला प्रशासन ने घटना स्थल से कुछ मीटर की दूरी सरघा गांव में भोजन व्यवस्था केंद्र स्थापित किया है। यहां पर लोगों को मुफ्त में खाना मुहैया करवाया जा रहा है। इसके साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हर सदस्य को यही भोजन करवाया जा रहा है। भारी पत्थर और मलबा होने के कारण पोकलेन की सहायता ली जा रही है। हादसे के अधिकतर प्रभावित अपने रिश्तेदारों के पास ही पिछले दो दिनों से रुक रहे हैं। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी गांव का मुआयना किया और कहा कि वह लोगों की हर संभव मदद करेंगे।