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वेकेशन से लौटे विषाणु! H3N2 बना मारक, कोरोना ने भी दिखाई क्रूरता

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
हिंदुस्थान में कोरोना महामारी बीच के दिनों में थम गई थी। मरीज न के बराबर मिल रहे थे। दूसरे वायरसों के मामले नगण्य थे। ऐसा लग रहा था, जैसे वायरस (विषाणु) वैकेशन पर चले गए हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से कोरोना के साथ अन्य मामले बढ़ने लगे हैं, जिससे ऐसा लग रहा है कि विषाणु वैकेशन से लौट आए हैं। बीते दो-तीन महीनों से इन्फ्लूएंजा वायरस एच३एन२ कहर बरपाए हुए है। साथ ही यह लोगों के लिए मारक बनता जा रहा है। इसके लक्षण भी कोरोना की तरह बुखार और खांसी सहित फ्लू वायरस की तरह ही हैं। डॉक्टरों का सुझाव है कि वायरस सामान्य परिस्थितियों में जानलेवा नहीं है। इस वायरस से पीड़ित लोगों का अस्पताल में भर्ती होना बहुत आम नहीं है और केवल पांच प्रतिशत मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिली है। दूसरी तरफ एच३एन२ विषाणु के साथ ही कोरोना भी एक बार फिर से क्रूरता दिखाना शुरू कर दिया है। कुछ दिनों से मुंबई और महाराष्ट्र समेत देश में इस महामारी के मामले भी बढ़ने लगे हैं, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बन गया है।

हिंदुस्थान में पिछले दो-तीन महीनों से एच३एन२ काफी तेजी से फैल रहा है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों की मानें तो दूसरे फ्लू के मुकाबले अस्पताल में भर्ती होने की दर इसमें काफी ज्यादा है। उन्होंने लोगों को वायरस से खुद को बचाने और सुरक्षित रहने के लिए गाइडलाइन की लिस्ट भी जारी की है। दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देश भर में खांसी, जुकाम और मितली के बढ़ते मामलों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के बेहिसाब इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। मौसमी बुखार पांच से सात दिन तक रहेगा।
सप्ताह में मिल रहे २० से ३० मरीज
जेजे अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्राध्यापक डॉ. मधुकर गायकवाड ने कहा कि इस समय अस्पताल के ओपीडी में फ्लू के मरीजों की भीड़ लग रही है। इनका टेस्ट करने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। उन्होंने कहा कि सप्ताह में एच३एन२ के २० से ३० मरीज मिल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकांश मामलों में मरीज को भर्ती करने की नौबत नहीं आती लेकिन यदि किसी में बॉडी पेन और बुखार के गंभीर लक्षण दिखाई देता है तो उन्हें भर्ती करना पड़ता है। संक्रमण आमतौर पर लगभग पांच से सात दिनों तक रहता है। तीन दिन के अंत में बुखार उतर सकता है। हल्के संक्रमण की स्थिति में भी खांसी अधिक समय तक बनी रह सकती है। अगर खांसी बढ़ रही है और बुखार तीन दिनों के बाद भी बढ़ता रहता है तो अपने डॉक्टर से दोबारा संपर्क करना सबसे अच्छा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल अधिकांश मामलों में इससे संक्रमित रोगी ५ से ६ दिनों में ठीक हो जाता है।
इनके लिए है खतरा
डॉ. गायकवाड ने कहा कि बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चे भी एच३एन२ वायरस सहित मौसमी इन्फ्लूएंजा से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। अस्थमा, मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, उचित उपचार तेजी से ठीक होने में मदद कर सकता है।
संक्रमण से बचने के लिए नीति आयोग के दिशा-निर्देश
छोटे बच्चे, सह-रुग्णतावाले बुजुर्ग रोगी और गर्भवती महिलाएं इन्फ्लूएंजा के लिए सबसे अधिक जोखिम वाले समूह हैं। इसलिए इन रोगियों पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए। बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क के उपयोग सहित समय-समय पर हाथ धोने पर जोर देने के लिए जन- जागरूकता पैदा की जाए। जांचों की रिपोर्ट अतिशीघ्र देकर उचित उपचार किया जाए। इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षणों और तीव्र श्वसन संक्रमण वाले रोगियों के अधिक नमूने परीक्षण के लिए भेजे जाने चाहिए। दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, ऑक्सीजन आदि के साथ अस्पताल में इलाज के लिए तैयार रहें।
मनपा स्वास्थ्य विभाग है तैयार
नीति आयोग के दिशा-निर्देशों के बाद मनपा स्वास्थ्य विभाग ने मुंबई में भी तैयारी शुरू कर दी है। अस्पतालों और डॉक्टरों को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के साथ-साथ श्वसन संक्रमण के संदिग्ध रोगियों की जांच करने का निर्देश दिया गया है। अभी तक मुंबई में इन्फ्लूएंजा या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज के मरीजों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
इन्फ्लूएंजा पर अलर्ट यूपी
यूपी में इन्फ्लूएंजा के नए वायरस एच३एन२ के खतरे को देखते हुए अस्पतालों ने सतर्कता बढ़ा दी है। वॉर्ड में डॉक्टर-स्टाफ के अलावा मरीजों और तीमारदारों को मास्क लगाने के लिए कहा गया है। कोमोरबिडी यानी पहले से ही गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों को विशेष एहतियात बरतने को कहा गया है। हालांकि, अभी इसे सामान्य फ्लू की तरह या मौसमी इन्फ्लूएंजा की ही तरफ ट्रीट किया जा रहा है। लेकिन इसके मरीजों की संख्या बढ़ने पर अस्पतालों में दवाएं और बेड तैयार रखने को कहा गया है। बता दें कि दिसंबर २०२२ में इसके ३५० से ज्यादा मरीज मिले हैं, जबकि एक साल पहले दिसंबर २०२१ में इसकी संख्या ४० के करीब थी।
कोविड फिर सनका
मुंबई समेत महाराष्ट्र में कोविड ने एक बार फिर से सनकना शुरू कर दिया है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, प्रदेश में कुछ दिन पहले तक नए संक्रमितों की संख्या दहाई पर थी, जो सैकड़े पर पहुंच गई है। रविवार को राज्य में १०१ नए मरीज मिले, जबकि ३६ मरीज ठीक हुए हैं। इस समय महाराष्ट्र में सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर ५५१ पर पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, विदेशों से लौटे १३,३७,७७९ यात्रियों में से २९,७०८ की आरटीपीसीआर जांच हुई है, इनमें से ३७ मरीज संक्रमित पाए गए हैं। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि संक्रमण के मामले तापमान में आए बदलाव के चलते बढ़ रहे हैं।

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